इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स (रिटेल इन्वेस्टर्स और NIIs) IPO में अलॉट हुए शेयर्स में से 50.2% को लिस्टिंग के एक हफ्ते के भीतर बेच देते हैं. इनमें भी वैल्यू के हिसाब से NIIs (Non Institutional Investors) 63.3% शेयर्स और रिटेल इन्वेस्टर्स 42.7% शेयर्स एक हफ्ते के भीतर बेचते हैं.
ये खुलासा मार्केट रेगुलेटर SEBI की एक रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें IPO में निवेशकों के रुझान की विस्तृत स्टडी की गई है. इस रिपोर्ट में FY22 से FY24 के बीच मेनबोर्ड IPOs में निवेशकों के खरीद-बिक्री पैटर्न का विश्लेषण किया गया है.
कुल मिलाकर देखें तो एंकर इन्वेस्टर्स को छोड़कर बाकी निवेशक IPO शेयर्स अलॉट होने के एक हफ्ते के भीतर ही 54% तक शेयर्स बेच देते हैं. दिलचस्प ये है कि इंडिविजुअल निवेशकों के साथ QIBs भी IPO में मिले शेयरों को रखने में रुचि नहीं दिखाते हैं.
इस स्टडी से पता चला कि म्यूचुअल फंड IPO अलॉटमेंट के बाद लंबे वक्त के लिए निवेश करते हैं, जबकि बैंक जल्दी निकल जाते हैं.
म्यूचुअल फंड्स ने अलॉट शेयर्स में से सिर्फ 3.3% ही एक हफ्ते के भीतर बेचे हैं.
जबकि इनकी तुलना में बैंकों ने एक हफ्ते के भीतर 79.8% अलॉट शेयर्स बेच दिए.
निवेशक उन IPOs से जल्दी निकलते हैं, जो बढ़त के साथ लिस्ट हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक जब 20% से ज्यादा मुनाफा हुआ, तो निवेशकों ने 67.6% शेयर्स लिस्टिंग के एक हफ्ते के भीतर ही बेच दिए. हैरानी की बात ये है कि नेगेटिव रिटर्न होने पर भी निवेशकों ने 23.3% शेयर्स बेचे हैं.
FY23-FY24 में रिटेल कैटेगरी में जिन निवेशकों को अलॉटमेंट मिला, उनमें सबसे ज्यादा गुजरात (39.3%) से थे, जबकि 13.5% महाराष्ट्र से और 10.5% रिटेल निवेशक राजस्थान से रहे.
गुजरात के NII इन्वेस्टर्स को 42.3%, महाराष्ट्र के NII निवेशकों को 20.4% और राजस्थान के NII इन्वेस्टर्स को 15.5% अलॉटमेंट मिला.
अप्रैल 2021 से दिसंबर 2023 के बीच जिन लोगों ने IPOs के लिए अप्लाई किया, उनमें से लगभग आधे डीमैट अकाउंट कोविड के दौरान (CY2021 से CY2023) खोले गए थे.
अप्रैल 2022 में SEBI और RBI ने IPO से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए. खासतौर पर NII कैटेगरी के लिए.
NII कैटेगरी (15% कोटा) को दो कैटेगरीज में बांट दिया गया; पहला स्मॉल NII के लिए 5% कोटा रखा गया, जबकि दूसरा बिग-NII के लिए 10% का कोटा. दूसरी तरफ RBI ने भी NBFC के ऊपर IPO फंडिंग की अधिकतम सीमा 1 करोड़ रुपये प्रति कर्जदार तय कर दी. इन नीतिगत संशोधनों के बाद निवेशकों के रुझान में कुछ बड़े बदलाव देखे गए:
NII कैटेगरी में ओवर सब्सक्रिप्शन में बड़ी गिरावट, ये 38 गुना से गिरकर 17 गुना पर आई
1 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करने वाले बड़े NIIs की संख्या में बड़ी गिरावट. संशोधन से पहले अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच ऐसे औसत निवेशकों की संख्या 626 थी, मगर संशोधन के बाद (अप्रैल 2022 से दिसंबर 2023 के बीच) ये संख्या औसतन 20 रह गई.
बड़े NIIs पहले (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) एक हफ्ते के भीतर 70% शेयर्स बेच देते थे. जबकि अप्रैल 2022 से 2023 के बीच ये आंकड़ा घटकर 25% पर आ गया.