मार्केट रेगुलेटर SEBI जल्द ही ESG (पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) असेसमेंट करने वाली एजेंसियों को मान्यता देने के लिए दिशानिर्देश जारी करने वाला है. NDTV Profit को सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इस प्रक्रिया की निगरानी का जिम्मा नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज (NABCB) को सौंपा जा सकता है.
SEBI दरअसल, ESG रिपोर्टिंग और डिस्क्लोजर नियमों को और मजबूत बनाना चाहता है, खासकर नई तकनीकी कंपनियों द्वारा नियम उल्लंघन के हालिया मामलों को देखते हुए.
एक सूत्र ने NDTV को बताया कि, 'डिस्क्लोजर के लिए नियम पहले से मौजूद हैं, लेकिन असली चुनौती ये है कि कंपनियां जो जानकारी देती हैं, उसकी सही जांच और मूल्यांकन कैसे हो.'
SEBI ने मार्च में ESG रिपोर्टिंग के लिए नया फ्रेमवर्क पेश किया था, जिसे BRSR Core कहा गया. इसके तहत लिस्टेड कंपनियों को दो विकल्प दिए गए:
या तो ESG रिपोर्ट का असेसमेंट कराएं
या फिर अश्योरेंस (बाहरी सत्यापन) कराएं
SEBI ने इसे चरणबद्ध तरीके से लागू करने की बात कही थी. इसके साथ ही कंपनियों की सप्लाई चेन (value chain) पर बोझ कम करने के लिए उनके लिए अनिवार्य ESG डिस्क्लोजर को एक साल के लिए टाल दिया गया है.
SEBI का उद्देश्य ESG असेसमेंट प्रोसेस को 'प्रोफेशन एग्नोस्टिक' यानी किसी खास पेशे तक सीमित न रखना है. इसका मतलब है कि अलग-अलग पृष्ठभूमि के पेशेवर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं, जिससे कंपनियों और उनकी सप्लाई चेन के लिए अनुपालन आसान बनेगा.
SEBI की ESG मामलों पर बनी एडवाइजरी कमेटी ये भी विचार कर रही है कि भारत के ESG नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों से जोड़ा जाए. इसके तहत इंटरनेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड्स (IFRS) के अनुसार नया BRSR फ्रेमवर्क तैयार किया जा सकता है.