अमेरिकी रेगुलेटर्स ने पहली बार बिटकॉइन में इन्वेस्ट करने वाले ETFs (Exchange Traded Funds) को अनुमति दी है. माना जा रहा है इससे अमेरिका में मौजूद 1.7 ट्रिलियन डॉलर के डिजिटल एसेट सेक्टर को बल मिलेगा, साथ ही क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) तक पहुंच बढ़ेगी.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने जिन ETFs को मान्यता दी है, उनके लिए आवेदन ब्लैकरॉक (Blackrock), इन्वेस्को और फिडेलिटी जैसे बाजार दिग्गजों से लेकर Valkyrie जैसे छोटे प्लेयर्स ने किया था.
इस कदम से कई छोटे निवेशक भी क्रिप्टो में निवेश कर पाएंगे. बता दें एक क्रिप्टो कॉइन की कीमत ही आज करीब 46,288 डॉलर (38 लाख रुपये से ज्यादा) है. ऐसे में एक कंबाइन पूल के जरिए छोटे निवेशक लाभ उठा पाएंगे.
लेकिन SEC के चेयरमैन गैरी गेंस्लर ने साफ कहा कि वे अब भी बिटकॉइन पर अपनी मुहर नहीं लगा रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'हमने कुछ स्पॉट बिटकॉइन ETF की ट्रेडिंग और लिस्टिंग को अनुमति दी है, लेकिन हम ना तो बिटकॉइन को एप्रूव कर रहे हैं और ना ही इसमें निवेश के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. निवेशकों को बिटकॉइन और क्रिप्टो की वैल्यू से जुड़े प्रोडक्ट्स को लेकर सावधानी रखनी चाहिए.'
SEC की वेबसाइट से पता चलता है कि गेंसलर ने दो अन्य रिपब्लिकंस की तरह प्रोडक्ट को लिस्ट करने की एक्सचेंज की योजना के पक्ष में वोटिंग की थी. जबकि दो अन्य डेमोक्रेट्स ने प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की.
बता दें एक दिन पहले ही SEC की ट्विटर अकाउंट में ETFs को मान्यता दिए जाने का फर्जी दावा किया गया था.
बुधवार को पोस्ट के बाद SEC ने दावा किया था कि उनका हैंडल हैक हो गया था, जिसके चलते ये ट्वीट किया गया. इस पूरे घटनाक्रम में बिटकॉइन की कीमत में बड़ी उथल-पुथल मची थी.
ETF, म्यूचुअल फंड की तरह ही एक पूल्ड फंड होता है, जिसमें ऐसे इन्वेस्टर्स पैसा लगाते हैं, जो आमतौर पर किसी एसेट में सीधे पैसा लगाना नहीं चाहते. ETF आमतौर पर किसी इंडेक्स, सेक्टर, कमोडिटी या दूसरे एसेट से जुड़े होते हैं.
इन एसेट्स की वैल्यू के ऊपर-नीचे होने पर ETFs के भाव भी ऊपर नीचे होते हैं. म्यूचुअल फंड से इन्हें अलग करने वाली खास बात ये है कि इनकी ट्रेडिंग आम शेयर्स की तरह ही की जा सकती है. ताजा मामले में जिन 13 ETFs को अनुमति दी गई है, उनकी वैल्यू बिटकॉइन से जुड़ी हुई है.