आम चुनाव में अभी 8 महीने से ज्यादा समय बाकी है. BJP की अगुवाई में NDA जीत की हैट्रिक लगाएगी या फिर विपक्षी गठबंधन कामयाबी का स्वाद चख पाएगी, इसका जवाब भविष्य की गर्भ में है. हालांकि न केवल राजनीतिक विश्लेषक, बल्कि ब्रोकरेज फर्म्स भी अभी से ही अनुमान लगाने लगे हैं.
ग्लोबल ब्राेकरेज फर्म 'मॉर्गन स्टैनली' की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, BJP की अगुवाई वाली सरकार की निर्णायक जीत की उम्मीद में निवेशक 2024 आम चुनावों से पहले सेंसेक्स (Sensex) में 10% की ग्रोथ देख सकते हैं.
इसका अनुमान है कि चुनाव के नतीजों के बाद ये +5% से - 40% के बीच स्विंग कर सकता है. यानी सेंसेक्स (Sensex) या तो 5% ऊपर चढ़ेगा या फिर 40% तक नीचे लुढ़क सकता है.
मॉर्गन स्टैनली ने 'One Billion Voters: Will they please the market?' टाइटल से जारी अपनी रिसर्च रिपोर्ट में ये मान कर चल रही है कि मई 2024 तक आम चुनाव हो जाएंगे. ब्राेकरेज ने कहा है, 'चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने से बाजार की चाल छोटी अवधि में केंद्रित हो सकती है.'
ब्रोकरेज के अनुसार, बेतहाशा उतार-चढ़ाव पहले भी देखे जाते रहे हैं. हालांकि उसे लगता है कि इस बार ये और अधिक तीव्र हो सकता है. 1 सितंबर को सेंसेक्स 65,387.16 पर बंद हुआ और 3 सितंबर को जारी रिपोर्ट के अनुसार, 10% बेस केस का मतलब मई 2024 तक इसके 71,926 तक पहुंचने की संभावना से है. वहीं, 40% की गिरावट का मतलब है कि सेंसेक्स उच्चतम स्तर से 43155 के स्तर तक गिर सकता है.
आम चुनाव 2004 के दौरान शेयर बाजार ये मान कर चल रहा था कि BJP की अगुवाई वाली NDA एक बार फिर से जीत दर्ज करेगी, लेकिन चुनाव के नतीजे ठीक इसके विपरीत आए. NDA हार गई और कांग्रेस की अगुवाई में UPA की सरकार बनी. मार्केट के अनुमान से ठीक उलट परिणाम सामने आने का बाजार पर ऐसा असर हुआ कि एक ही कारोबारी दिन (Single Trading Session) में सेंसेक्स 17% गिर गया था.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'अगर मतदाता खुद को समृद्ध महसूस कर रहे हैं तो सत्ता सकारात्मक हो सकती है. चुनौती ये है कि सभी मतदाता समूहों में समृद्धि के मायने अलग-अलग होते हैं.'
विकास और महंगाई के अलावा, गरीबी का स्तर, किसान आत्महत्या, ग्रामीण भारत के लिए व्यापार की शर्तें, कन्या भ्रूण हत्या, शिशु मृत्यु दर और सरकारी स्थानांतरण जैसे संकेतक इस बात का हिस्सा हैं कि मतदाता अपनी समृद्धि का आकलन कैसे करते हैं. चुनाव से पहले नई नीतियों की घोषणा करने की गुंजाइश है, जो मतदाताओं को एक विशेष दिशा में प्रभावित कर सकती हैं.
मॉर्गन स्टैनली को उम्मीद है कि अगर मौजूदा BJP संसद के निचले सदन लोकसभा में 543 सीटों में करीब 260 सीटें जीतती है, तो चुनाव के बाद (नतीजों के तीन महीने में) सेंसेक्स 5% बढ़ सकता है.
दूसरी स्थिति या सवाल ये भी है कि अगर विपक्ष अगले साल की शुरुआत में एक मजबूत गठबंधन का प्रदर्शन करता है तो बाजार का अनुमान कितना बदल सकता है?
रिपोर्ट के अनुसार, BJP अगर 240 सीटें जीतती है और फिर भी अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ सरकार बनाती है, तो बेंचमार्क इंडेक्स 5-7% तक सही हो सकता है, लेकिन अगर 225 सीटें ही जीतती है, या चुनाव हार जाती है, तो बाजार स्थिर होने से पहले 20-25% गिर सकता है. यदि एंकर पार्टी की स्थिति सदन में मजबूत रही तो अंततः ये और भी अधिक हो जाएगा.
यदि सत्ताधारी पार्टी (BJP Led NDA) हार जाती है, लेकिन केंद्र में कमजोर गठबंधन के साथ विपक्षी पार्टी को 200 से कम सीटें मिलती हैं, और अग्रणी पार्टी केवल सहायक की भूमिका निभाती है, तो बाजार की स्थिति और ज्यादा डामाडौल हो सकती है.
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी स्थिति में सेंसेक्स में 30-40% की गिरावट आ सकती है. इसका मतलब है कि सेंसेक्स 71,926 के उच्चतम स्तर से गिरकर 43,155 पर आ सकता है, जो कि सबसे खराब स्थिति होगी.
मॉर्गन स्टैनली ने नोट किया है कि ये संभवत: बाजार की सबसे बुरी स्थिति होगी. एक कमजोर गठबंधन में ग्रोथ और महंगाई के पूर्वानुमान में उल्लेखनीय रूप से गिरावट दर्ज की जाती है, भले ही विकास का पूर्ण स्तर जोखिम में न हो. निष्पादन की गति भी खतरे में हो सकती है.
1977 से 1979, 1989 से 1991, 1996 से 1998 और 1998-1999 में असफल गठबंधन सरकारों का इतिहास रहा है और इस दौरान सरकारें अपना कार्यकाल पूरा करने में विफल रही हैं.
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट सुझाव देती है कि निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को चार परिदृश्यों में से किसी एक के अनुसार उपयुक्त तरीके से तैयार करना चाहिए.
उदाहरण के लिए, यदि वो मानते हैं कि BJP निर्णायक रूप से जीतेगी, तो उन्हें उपभोक्ता विवेकाधिकार (Consumer Discretionery), वित्तीय, औद्योगिक और सूचना प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान देना चाहिए.
सबसे खराब स्थिति में उन्हें एनर्जी, हेल्थकेयर, इंफोटेक और मटेरियल्स समेत अन्य उपभोक्ता वस्तुओं (Consumer Staples) पर अधिक जोर डालना चाहिए.
जरूरी नहीं कि गठबंधन सरकारें खराब ग्रोथ का कारण बनें, ये नोट करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले आठ चुनावों (32 वर्षों में) देश में केवल दो बहुमत वाली सरकारें रही हैं. 2014 में और फिर 2019 में.
सबसे कम सफल गठबंधन सरकारें 1996 (संयुक्त मोर्चा) और 1998 (भाजपा के नेतृत्व में) में बनीं, जो केवल दो साल और एक साल तक चलीं.
1993 से 2023 तक रियल GDP ग्रोथ औसतन 6.2% प्रति वर्ष रही है. जनवरी 1993 से जुलाई 2023 तक मार्केट (MSCI इंडिया) US डॉलर के संदर्भ में देखें तो 7.3 गुना से अधिक बढ़ गया है, जबकि MSCI ACWI इंडेक्स 4.7 गुना और MSCI EM 2.3 गुना बढ़ गया है. इस अवधि के दौरान BSE सेंसेक्स 25 गुना बढ़ गया है.'