भारतीय शेयर बाजार का मानों ब्रेक फ्रेक हो गया है. इस फरवरी के ही महीने में सेंसेक्स अबतक करीब 2,700 अंक टूट चुका है. इस महीने की शुरुआत में जो सेंसेक्स 77,000 के ऊपर ट्रेड कर रहा था, अब 74,500 के नीचे फिसल गया है. जबकि निफ्टी 800 अंकों से ज्यादा फिसल चुका है. विदेश निवेशकों की घबराहट इतनी ज्यादा है कि वो लगातार भारतीय शेयरों को बेचकर अपना पैसा निकालकर भाग रहे हैं.
जबसे साल 2025 शुरू हुआ है, गिरावट ही गिरावट है. इस साल 9 मौकों पर ऐसा हुआ है कि दोनों इंडेक्स, सेंसेक्स और निफ्टी 1% से ज्यादा टूटे हैं. सितंबर 2024 की ऊंचाई से निफ्टी और सेंसेक्स 13.7% और 12% तक टूट चुके हैं, जो कि 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है. ब्लूमबर्ग डेटा के मुताबिक भारतीय शेयर बाजार का कुल मार्केट कैप पिछले साल के शिखर से लगभग 1.2 ट्रिलियन डॉलर गिरकर 3.99 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
निफ्टी IT छह महीने से अधिक के निचले स्तर तक फिसल गया है जिसकी वजह से हफ्ते के पहले सत्र में निवेशकों को लगभग 77,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. सुबह 10:46 बजे तक IT शेयरों का मार्केट कैप 76,975.04 करोड़ रुपये गिरकर 33.35 लाख करोड़ रुपये था.
ऐसा क्यों हो रहा है कि भारतीय बाजार पर लगातार दबाव बना हुआ है. इसके कई कारण हैं, चलिए एक एक करके समझते हैं.
शुक्रवार को अमेरिका के कुछ आर्थिक आंकड़े जारी हुए, जिससे ये संकेत मिलता है कि अमेरिका की अर्थव्यस्था में सबकुछ अच्छा नहीं चल रहा है. जिसकी वजह से शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली. इसका असर दुनिया के दूसरे बाजारों पर भी दिखा, खासतौर पर एशियाई बाजारों पर. आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग में स्लोडाउन आया है, क्योंकि कंपोजिट PMI जनवरी के 52.7 से गिरकर फरवरी में 50.4 रही है, ये सितंबर 2023 के बाद सबसे निचला स्तर है. कंज्यूमर सेंटीमेंट्स में भी गिरावट आई है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ती खींचतान पर चिंताएं बढ़ रही हैं. एक्सपर्ट्स को डर है कि ट्रंप के टैरिफ कदमों से बड़े स्तर ट्रेड वॉर हो जाएगा, जिससे वैश्विक आर्थिक विकास को काफी झटका लगेगा, जो पहले से ही महंगाई और ग्रोथ में स्लोडाउन से जूझ रहा है.
NSDL के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 23,710 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. इससे पहले जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. NSDL के आंकड़ों से पता चलता है कि 2025 में अब तक उन्होंने 1.01 लाख करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है. शुक्रवार को, FPIs लगातार तीसरे दिन नेट सेलर रहे, उन्होंने लगभग 3,449 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की. आउटफ्लो के कारणों में ग्लोबल टैरिफ अनिश्चितता, चीन की ओर झुकाव और मजबूत डॉलर है जो भारतीय इक्विटी को कम आकर्षक बनाता है.
निफ्टी स्मॉलकैप 250 में 2% से ज्यादा की गिरावट आई है, जबकि निफ्टी मिडकैप 150 में सोमवार को इंट्राडे में 1.8% की गिरावट आई, जो बेंचमार्क से भी खराब है. जेएम फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशनल सिक्योरिटीज के एम डी और शोध के सह-प्रमुख वेंकटेश बालासुब्रमण्यम ने NDTV प्रॉफिट को बताया कि लार्ज-कैप कंपनियों के लिए कमाई के अनुमान में कटौती खत्म हो गई है. उन्होंने कहा कि बाजार में 5-7% और गिरावट आ सकती है. उन्होंने कहा, 'ये साल पैसा कमाने के लिए नहीं बल्कि पैसे बचाने के लिए है. मुझे नहीं लगता कि स्मॉल और मिडकैप में गिरावट खत्म हो गई है'. इस साल अब तक स्मॉलकैप इंडेक्स जहां 18% नीचे आया है, वहीं मिडकैप इंडेक्स 13% गिरा है.
भले ही भारतीय बाजारों की पिटाई हो रही है, लेकिन चीन के बाजार बीते कुछ दिनों से अच्छी ग्रोथ दिखा रहे हैं. इसके पीछे वजह है कि भारतीय शेयर बाजारों का वैल्युएशन काफी ज्यादा हो चुका है, इसके मुकाबले चीन के बाजारों का वैल्युएशन ज्यादा आकर्षक है. इसलिए विदेशी निवेशकों ने अपना पैसा चीन में शिफ्ट करना जारी रखा है.