FIIs यानी विदेशी संस्थागत निवशकों की बिकवाली से बाजार में मायूसी छा गई है. ग्लोबल फंड्स ने पिछले 19 सत्रों में लगातार 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे हैं. इनकी इस भारी बिकवाली से रिकॉर्ड 11 महीने की तेजी को खतरा पैदा हो गया है. इस भारी बिकवाली में सबसे अधिक आउटफ्लो अक्टूबर में देखा गया है. ग्रोथ संबंधी चिंताओं, चीन की आर्थिक नीतियों और हमारे मार्केट के ज्यादा वैल्यूएशन के कारण लगातार बिकवाली हो रही है, जिससे भारतीय बाजारों में निवेशकों की भावना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
ITI एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी राजेश भाटिया ने कहा, FIIs की बिकवाली का मुख्य कारण ये है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ गई हैं. हालांकि पिछली बार फेड ने दरों में कुछ कटौती की है, मगर इसका खास असर नहीं पड़ा है.
उन्होंने कहा कि निवेशक भारतीय बाजारों से अपना निवेश निकाल रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि अमेरिका में इंफ्लेशन फिर से बढ़ेगा. भाटिया ने कहा कि खासकर अगर डोनाल्ड ट्रंप चुने जाते हैं. उन्होंने बताया अगर ब्याज दरें और इंफ्लेशन रफ्तार पकड़ते है तो ये मार्केट के लिए बुरा होगा. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि FIIs बिकवाली कर रहे हैं.
बेंचमार्क इंडेक्स, NSE निफ्टी 50 और BSE सेंसेक्स, पिछले 18 दिनों में लगभग 7.87% और 7.3% गिर गए हैं. ब्रॉडर मार्केट में सबसे अधिक हिट देखने को मिला है. बेंचमार्क निफ्टी-50 ने अपने रिकॉर्ड हाई से 2,000 अंक की गिरावट दर्ज कील है. स्मॉलकैप शेयरों के इंडेक्स 10% तक गिर गए हैं.
हालांकि DIIs गिरावट में लगातार खरीदारी कर रहे हैं और एक लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीद चुके हैं. धीमी आर्थिक ग्रोथ और कॉरपोरेट मुनाफे के कारण गोल्डमैन सैक्स ने घरेलू शेयरों को ओवरवेट से डाउनग्रेड किया है. बर्नस्टीन रिसर्च ने स्थानीय शेयरों को डाउनग्रेड किया है क्योंकि ये आने वाले समय में बाजार को "काफी कमजोर" मानता है.
भाटिया के मुताबिक, भारत के शेयर बाजार में तेजी मिड और स्मॉलकैप शेयरों की वजह से है. लार्जकैप में प्रॉफिट ग्रोथ काफी है, लेकिन मिड और स्मॉलकैप कंपनियां बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में सुधार होगा, इसलिए मौजूदा समय में शेयरों को खरीदना चाहिए.
भारत का निफ्टी और सेंसेक्स एशियाई बाजार में प्राइस-टू-अर्निंग रेश्यो के मामले में सातवें और दसवें सबसे महंगे हैं. निफ्टी का प्राइस-टू-अर्निंग रेशियो 18.8 है, जबकि स्मॉल-कैप और मिड-कैप इंडेक्स 32.3 और 43.3 पर है.
इस बीच, FIIs की लगातार बिकवाली से रुपया रिकॉर्ड-लो स्तर के आसपास मंडरा रहा है. 11 अक्टूबर को 84.09 के रिकॉर्ड निचले स्तर के स्तर के बाद ये इस रेंज में ही है.
नोमुरा ग्लोबल मार्केट्स रिसर्च के अनुसार तीसरी तिमाही में भारत की आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार नरम रहने की आशंका है. मोजेक ऐसेट मैनेजमेंट के मनीष डांगी ने कहा, 'हालांकि भारत की इकोनॉमी में स्लोडाउन के कोई संकेत नहीं है.
डांगी ने NDTV प्रॉफिट को कहा कि उन्हें थोड़ा संदेह है कि भारत में पिछले कुछ महीनों में स्लोडाउन दिख रहा है. डांगी के मुताबिक इंडस्ट्रियल और कंजप्शन दोनों से मिलने वाले सभी संकेतों में अभी कमजोरी दिख रही है. उन्होंने कहा कि हर तीन या चार साल में ऐसी नरमी देखी जाती है.
भारत के केंद्रीय बैंक ने FY25 की दूसरी तिमाही के लिए भारत के लिए अपने GDP अनुमान को 20 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6.8% कर दिया है. धीमी अर्थव्यवस्था के बारे में चिंताएं और बढ़ गईं हैं क्योंकि पिछले महीने टैक्स कलेक्शन में गिरावट देखी गई, सितंबर में GST कलेक्शन की ग्रोथ रेट 6.5% रही, जो 40 महीने का निचला स्तर है. 8 कोर सेक्टर के आउटपुट ग्रोथ में भी गिरावट आई है.
उन्होंने कहा, 'जहां तक अर्थव्यवस्था का सवाल है, हम अभी भी बुल मार्केट में हैं, इकोनॉमी बहुत मजबूत है, इसलिए मेरा मानना है कि मंदी में सुधार होगा, लेकिन इसमें समय लगेगा.