सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को निचली अदालत के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें ब्लूमबर्ग (Bloomberg) की ओर से जी एंटरटेनमेंट (Zee Entertainment) पर लिखे आर्टिकल को हटाने के कहा गया था. इस आर्टिकल में $241 मिलियन की वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में देखने पर लगता है निचली अदालत के फैसला देने में सही समझ का इस्तेमाल नहीं किया. यहां तक कि हाई कोर्ट में भी ट्रायल कोर्ट के आदेश को बिना सही कारण के पारित कर दिया.
CJI DY चंद्रचूड़ ने कहा, '5 पेज लिखने से ये नहीं पता लगता कि पूरी समझ का इस्तेमाल किया गया है'.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस तरह का अहम फैसला देने के पहले कोर्ट को इस बात का ध्यान रखना था कि प्रथमदृष्टया जो चीजें दिख रही थीं, उसके आगे भी जांच की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को केस की वापस सुनवाई करने और फैसला देने का निर्देश दिया. 26 मार्च को इस केस की ट्रायल कोर्ट में सुनवाई हो सकती है.
1 मार्च को दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने ब्लूमबर्ग को जी एंटरटेनमेंट पर लिखा आर्टिकल हटाने का निर्देश दिया था, जिसमें जी की फाइलों में $241 मिलियन की अनियमितता का आरोप लगाया गया था.
जी ने इस आर्टिकल के संबंध में कहा था कि इसमें किए गए दावे सत्यापित नहीं थे और उनको SEBI के ऑर्डर के साथ गलत तरीके से लिंक किया गया था.
ऑर्डर से असहमत होते हुए ब्लूमबर्ग ने हाई कोर्ट का रुख किया. हाई कोर्ट से भी ब्लूमबर्ग को कोई राहत नहीं मिली और उसे अपनी वेबसाइट से आर्टिकल को हटाने का निर्देश दिया गया था.