चौथी तिमाही के नतीजों का सीजन अब अपने आखिरी पड़ाव पर है, कंपनियों ने भी वित्त वर्ष 2025 के लिए फाइनल डिविडेंड का ऐलान कर दिया है, रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी इस बात में है किस कंपनी ने कितना ज्यादा डिविडेंड दिया है. डिविडेंड यानी कंपनियां अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरधारकों के साथ बांटती है.
अब इसका पता कैसे चले कि किसी कंपनी ने जितना डिविडेंड दिया है, वो ज्यादा है या कम. इसके लिए डिविडेंड यील्ड होता है, जो कि एक फाइनेंशियल रेश्यो होता है. जो दर्शाता है कि कोई कंपनी अपने शेयरधारक को प्रति शेयर डिविडेंड के रूप में कितना पैसा देती है.इसकी तुलना उसके शेयर प्राइस से की जाती है. ये संख्या जितनी ज्यादा होगी, शेयर उतना ही अधिक फायदेमंद होगा.
NDTV प्रॉफिट रिसर्च के आधार पर, 15 शेयरों ने FY25 में 5% से अधिक का डिविडेंड दिया है, जिनमें चार लार्ज कैप, तीन मिड कैप और आठ स्मॉल कैप शामिल हैं.
माइनिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड (Vedanta Ltd.) डिविडेंड यील्ड के मामले में लार्ज कैप स्टॉक में सबसे आगे है. इसका डिविडेंड यील्ड 9.71% है. डिविडेंड यील्ड को कैलकुलेट करने के लिए पिछले बारह महीने की डिविडेंड यील्ड जिसे TTM कहा जाता है, उसमें पिछले साल के दौरान भुगतान किए गए सभी डिविडेंड शामिल हैं, वो 43.5 रुपये था.
अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली कंपनी का FY25 का डिविडेंड 13,474 करोड़ रुपये के कुल भुगतान के साथ मजबूत कैश फ्लो को दर्शाता है. मार्च तिमाही के शानदार प्रदर्शन ने भी ऊंची डिविडेंड पॉलिसी को सपोर्ट किया है.
इसके अलावा, ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, 11 एनालिस्ट्स ने वेदांता को 'खरीदें', चार ने 'होल्ड' और केवल एक 'बेचें' रेटिंग दी है. 12 महीने के प्राइस टारगेट का औसत 15% की ग्रोथ संभावना दर्शाता है.
सरकारी स्वामित्व वाली, डायवर्सिफाइड ई-कॉमर्स सर्विस कंपनी MSTC लिमिटेड 8.3% के डिविडेंड यील्ड और 45.5 रुपये के TTM डिविडेंड के साथ दूसरे नंबर पर आती है.
MSTC ने 2023 से 6 डिविडेंड घोषित किए हैं, जो एक बढ़ती हुई लेकिन उतार-चढ़ाव वाली डिविडेंड पॉलिकी को दर्शाता है. जिसमें पांच साल का एवरेज पे-आउट रेश्यो लगभग 38% है. हालांकि, कंपनी के पास वर्तमान में इन डिविडेंड्स को कवर करने के लिए पर्याप्त फ्री कैश फ्लो नहीं है. ये FY25 में हाई पे-आउट रेश्यो के साथ मिलकर, इसके डिविडेंड पेआउट की स्थिरता के बारे में चिंताएं पैदा करता है.
DB कॉर्प ने 2023 से अब तक 6 डिविडेंड का ऐलान किया है. कंपनी का मजबूत कैश फ्लो इसके डिविडेंड यील्ड को सपोर्ट करता है. भले ही ये एक कन्जर्वेटिव डिविडेंड पॉलिसी को लेकर चलता है. इसके अलावा, इसकी ऑपरेशन परफॉर्मेंस ने रेवेन्यू और प्रॉफिट दोनों में कमजोरियों के बावजूद डिविडेंड पेआउट को सक्षम किया है. पेआउट रेश्यो इन डिविडेंड्स की स्थिरता को दर्शाता है.
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सब्सिडियरी कंपनी चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्प का डिविडेंड ट्रैक रिकॉर्ड मजबूत है, लेकिन उतार-चढ़ाव वाला भी है. इसने पिछले पांच साल में से चार साल में डिविडेंड घोषित किया है, जो काफी हद तक इसके बिजनेस के सिक्लिकल प्रकृति को दर्शाता है.
कंपनी का कम पेआउट रेश्यो एक पॉजिटिव फैक्टर है, जो इसके डिविडेंड पेमेंट्स की स्थिरता को बढ़ाता है. हालांकि, घटते मुनाफे और मार्जिन में उतार-चढ़ाव इसके वित्तीय प्रदर्शन के लिए लगातार जोखिम पैदा कर रहे हैं.
ऑलकार्गो लॉजिस्टिक्स का डिविडेंड पेआउट का लंबा इतिहास रहा है, जिसने 2006 से अब तक 25 बार डिविडेंड घोषित किया है. हालांकि, कंपनी ने चल रहे रीस्ट्रक्चरिंग की कोशिशों की वजह FY24 में कोई डिविडेंड घोषित नहीं किया है.
इसके बावजूद, FY25 में कम पेआउट रेश्यो इस बात की इशारा करता है कि कंपनी का फोकस स्थिरता पर है. जो चेन्नई पेट्रोलियम और वेदांता जैसी कंपनियों के ठीक उलट है.
फिर भी, इसके डिविडेंड पेआउट की स्थिरता के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं, जो ऐतिहासिक रूप से कम मुनाफे और FY24 में डिविडेंड नहीं देने की वजह से पैदा हुई हैं. इसके अलावा, इसकी कम डिविडेंड यील्ड और आय में अस्थिरता इसे निवेशकों के लिए कम आकर्षक बनाती है जो लगातार आय की तलाश कर रहे हैं.