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क्यों की गई अदाणी ग्रुप पर कार्रवाई? अमेरिका के 6 सांसदों ने बाइडेन सरकार के फैसले की जांच की मांग की

सांसदों ने लिखा कि मामले को भारतीय अधिकारियों को सौंपने के बजाय, बाइडेन प्रशासन के न्याय विभाग ने कंपनी के अधिकारियों को दोषी ठहराने का फैसला किया, जबकि इससे अमेरिका के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा था.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी12:18 PM IST, 11 Feb 2025NDTV Profit हिंदी
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अमेरिका के 6 सांसदों ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) की ओर से अदाणी ग्रुप पर चुनिंदा तरीके से की गई संदिग्ध कार्रवाई के खिलाफ जांच की मांग की है.

6 सांसदों ने लिखी नई एटॉर्नी जनरल को चिट्ठी

अमेरिका के इन 6 सांसदों ने लांस गूडेन, पैट फॉलन, माइक हरिडोपोलोस, ब्रैंडन गिल, विलियम आर टिमॉन्स IV और ब्रायन बाबिन ने नई अटॉर्नी जनरल पामेला बॉन्डी (Attorney General Pamela Bondi) को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बाइडेन प्रशासन के कुछ नासमझी भरे फैसलों की वजह से भारत और अमेरिका के बीच ऐतिहासिक साझेदारी और निरंतर बातचीत खतरे में पड़ गई है.उन्होंने कहा, भारत दशकों से संयुक्त राज्य अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है. यह रिश्ता राजनीति, व्यापार और अर्थशास्त्र से परे दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच निरंतर सामाजिक-सांस्कृतिक लेन-देन में विकसित हुआ है.

अपनी चिट्ठी में सांसदों ने लिखा है कि अदाणी का मामला इस आरोप पर आधारित है कि भारत में इस कंपनी के सदस्यों की ओर से भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना थी, जो खासतौर पर भारत में स्थित थे. मामले को भारतीय अधिकारियों को सौंपने के बजाय, बाइडेन प्रशासन के न्याय विभाग ने कंपनी के अधिकारियों को दोषी ठहराने का फैसला किया, जबकि इससे अमेरिका के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंच रहा था.

'अदाणी पर कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं थी'

21 नवंबर को ब्रुकलिन में संघीय अभियोजकों की ओर से जारी अभियोग में गौतम अदाणी और उनके सहयोगियों पर रिश्वत विरोधी प्रथाओं के बारे में अमेरिकी निवेशकों से झूठ बोलने का आरोप लगाया गया, जबकि भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से ज्यादा की रिश्वत देने का वादा किया गया था. हालांकि, अदाणी ग्रुप ने किसी भी गलत काम में शामिल होने से साफ तौर पर इनकार कर दिया और आरोपों को बेबुनियाद बताया.

सांसदों ने इस मामले में बाहरी ताकतों के शामिल होने की भी आशंका जाहिर की. चिट्ठी में सांसदों ने कहा कि किसी मामले को इस तरह से आगे बढ़ाने की कोई जरूरी वजह नहीं थी, जो भारत जैसे सहयोगी के साथ रिश्तों को जटिल बना सके, जब तक कि इसमें कुछ बाहरी फैक्टर शामिल न हों. इसमें कहा गया है कि इस "गुमराह धर्मयुद्ध" से भारत जैसे रणनीतिक भू-राजनीतिक साझेदार के साथ रिश्तों को नुकसान पहुंचने का खतरा है. इस अभियोग को आगे बढ़ाने का फैसला अमेरिका के हितों के लिए फायदे की बजाय नुकसान को ज्यादा दर्शाता है.

'बाइडेन DOJ के आचरण की जांच होनी चाहिए'

सांसदों ने कहा 'अमेरिका और भारत एक दूसरे के लिए सम्मान और प्रशंसा की भावना रखते है. ये भावना राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी निभाते हैं. सांसदों ने गुजारिश की कि इस तरह के लापरवाह फैसलों का अंजाम क्या होगा, ये जानने के बावजूद बाइडेन का न्याय विभाग ऐसा आदेश देता है, इस पर दोबारा विचार करने की सख्त जरूरत है.

सांसद लिखते हैं 'हम आपसे बाइडेन के न्याय विभाग के आचरण की जांच करने की अपील करते हैं और सच्चाई को उजागर करने की कोशिश के लिए इस मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड हमारे साथ साझा करने के लिए आपकी सराहना करेंगे.'

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