ADVERTISEMENT

100 साल बाद अमेरिकी बाजारों में T+1 सेटलमेंट की वापसी, आज से लागू

T+1 सेटलमेंट को 100 साल पहले छोड़ दिया गया था, क्योंकि वॉल्यूम काफी भारी-भरकम हो गए थे, इसे एक बार फिर से लाया जा रहा है, इसका मकसद है फाइनेंशियल सिस्टम के जोखिम को कम करना.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी09:34 AM IST, 28 May 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

अमेरिकी शेयर बाजार मंगलवार से एक बार फिर अपने 100 साल पुराने अतीत में चले गए हैं, वॉल स्ट्रीट में एक बार फिर से T+1 सेटलमेंट की शुरुआत हो रही है, जो 100 साल पहले हुआ करती थी.

वॉल स्ट्रीट में आज से T+1 सेटलमेंट 

अमेरिका की मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एक्सचेंज कमीशन SEC ने इसके लिए एक सर्कुलर और इन्वेस्टर बुलेटिन भी जारी किया है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि T+1 सेटलमेंट क्या चीजें बदलेंगी. SEC ने अपने बुलेटिन में कहा है कि 'कुछ अपवादों के साथ ज्यादातर ब्रोकर-डीलर लेनदेन के लिए स्टैंडर्ड सेटलमेंट साइकल को "T+2" से "T+1" कर दिया है, जो कि 28 मई, 2024 से लागू है'

T+1 सेटलमेंट क्या है

जब आप सिक्योरिटीज खरीदते या बेचते हैं, तो "सेटलमेंट" का मतलब होता है खरीदार के खाते में सिक्योरिटीज का ट्रांसफर और बेचने वाले के खाते में कैश का ट्रांसफर. 2017 के बाद से, ज्यादातर सिक्योरिटीज के लेन-देन के लिए सेटलमेंट साइकल, ट्रांजैक्शन की तारीख और सेटलमेंट की तारीख का समय दो कारोबारी दिन रहे हैं, जिसे बोलचाल में T+2 कहा जाता है. जिसके तहत मान लीजिए आपने ABC कंपनी का शेयर सोमवार को बेचा, तो ट्रांजैक्शन का सेटलमेंट सोमवार+मंगलवार यानी दो दिनों के बाद बुधवार को होगा. इसे ही T+2 सेटलमेंट कहते हैं. यही चीज T+1 में अब मंगलवार को ही सेटल हो जाएगी.

100 साल पहले T+1 को छोड़ दिया गया

T+1 सेटलमेंट को 100 साल पहले छोड़ दिया गया था, क्योंकि वॉल्यूम काफी भारी-भरकम हो गए थे, इसे एक बार फिर से लाया जा रहा है, इसका मकसद है फाइनेंशियल सिस्टम के जोखिम को कम करना, फिर भी सारी चिंताएं एक साथ खत्म हो जाएंगी, ऐसा भी नहीं, शुरुआती चिंताएं जरूर होंगी, जैसे- अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को समय पर डॉलर जुटाने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है, ग्लोबल फंड्स अपने एसेट्स की तरफ अलग अलग रफ्तार से जाएंगे और हर किसी के पास किसी भी गलती को सुधारने के लिए कम समय मिलेगा.

क्या चुनौतियां होंगी 

उम्मीद तो यही की जा रही है कि सारी चीजें सही तरीके से हो जाएंगी, लेकिन SEC ने भी पिछले हफ्ते कहा था कि इस बदलाव से "सेटलमेंट में शॉर्ट टर्म तेजी हो सकती है और मार्केट पार्टिसिपेंट्स के एक छोटे वर्ग के लिए चुनौतियां सामने आ सकती हैं'. T+1 ट्रांजीशन के लिए सभी तरह की कंपनियां महीनों से तैयारियां कर रही हैं. कर्मचारियों को रीलोकेट करने से लेकर उन्हें शिफ्ट करने और उनके वर्कफ्लो को दोबारा तैयार करने का काम लगातार चल रहा है, लेकिन सवाल ये है कि क्या दूसरी इंटरमीडियरीज भी इतना ही तैयार हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है कि वॉल स्ट्रीट इस तरह के बदलाव से गुजर रहा है, लेकिन इंडस्ट्री के प्रोफेशनल इसे बेहद चुनौतिपूर्ण मान रहे हैं.

1920 के दशक का T+1 युग, ये वो दौर था अमेरिकी शेयर बाजार ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था, इसे कुछ हद तक "द रोअरिंग 20" भी कहा गया. लेकिन धीरे-धीरे ये खत्म हो गया क्योंकि उस जमाने में मैनुअल तरीके से चीजें होती थीं, ऐसे में बढ़ती ट्रेड एक्टिविटी के साथ कदमताल करते रहना मुश्किल हो चला था, ये इतना बोझिल हो गया कि सेटलमेंट की अवधि 5 दिन तक हो गई.

का था. 1987 में ब्लैक मंडे क्रेश को देखते हुए इसे घटाकर तीन दिन किया गया, जैसे-जैसे वक्त गुजरा, चीजें बेहतर हुईं और बाजार मॉडर्न हुए तो साल 2017 से इसे घटाकर 2 दिन कर दिया गया.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT