फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग में वॉल्यूम को नियंत्रित करने के लिए मार्केट रेगुलेटर ने कई कदम उठाए हैं. इन नियमों और बदलावों का असर मौजूदा ट्रेड वॉल्यूम पर दिखा भी है. इंडस्ट्री में मौजूद जिरोधा के नितिन कामथ जैसे खिलाड़ियों के लिए ये बदलाव जमीन पर साफ साफ दिखता भी है.
जिरोधा के को-फाउंडर नितिन कामथ कहते हैं 'मुझे लगता है कि वीकली ऑप्शंस एक बहुत बुरा विचार था. ये 2019-2020 के आस-पास शुरू हुआ था, जब वीकली ऑप्शंस को मंजूरी दी गई थी. ये मंजूरी भी अपने आप में एक खराब आइडिया था.'
कामथ कहते हैं कि ट्रेडिंग वॉल्यूम 30% तक गिर गए, जबकि कॉन्ट्रैक्ट साइज बढ़े. जो लोग फ्यूचर में ट्रेड करते थे वो ऑप्शंस ट्रेड की ओर मुड़ जाएंगे, और जो लोग ऑप्शंस को शॉर्ट कर रहे थे, वो ऑप्शंस को खरीदेंगे. मार्केट में सबसे बड़ी दिक्कत है ऑप्शंस की खरीदारी क्योंकि इससे ट्रेडर के बचने की संभावना काफी कम हो जाती है. इस रेगुलेशन का दूसरा पहलू ये है कि फ्यूचर्स में ट्रेड करने वाले लोगों को शॉर्ट ऑप्शंस से ऑप्शंस की खरीदारी की ओर ले जा रहा है.
कामथ कहते हैं कि सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स का मकसद ऑप्शन वॉल्यूम को रेगुलेट करना था, इसने फ्यूचर्स वॉल्यूम को ज्यादा चोट पहुंचाई. ये इंडस्ट्री के लिए बुरा है, लेकिन निवेशक के लिए अच्छा है. वीकली एक्सपायरी बिल्कुल खराब है. एक्सचेंज आपस में होड़ कर रहे हैं और ये होना ही था कि वे इसे विफलता के कगार पर धकेल देंगे.
कामथ ये भी बताते हैं कि अपने शुरुआती दिनों में उन्होंने अपना खाता भी कई बार उड़ाया है. कामथ कभी भी बाजार में गलत नहीं रहे, क्योंकि उनके मारवाड़ी दोस्तों ने 18 साल की उम्र में उन्हें बाजार में कदम रखवा दिया.
कामथ ने कहा 'एक तरह से पूरे बिजनेस की शुरुआत 5 से 10 लाख रुपये में हुई थी. सच तो ये है कि ऐसा होना नहीं था. जब मैं वापस जाता हूं और बिजनेस प्लान को को देखता हूं, तो लगता है कि ज्यादा से ज्यादा 1 लाख ग्राहक ही बहुत थे. हमने कभी सोचा नहीं था कि हम इससे आगे बढ़ सकते हैं.
हालांकि ये सफर कामथ के लिए काफी उतार-चढ़ाव से भरा था, कामथ बताते हैं कि ब्रोकिंग का ये काम उनके परिवार के लिए कई सालों तक चिंता का सबब बना रहा. वो कहते हैं '2012-13 तक मुझसे कहा जाता रहा कि कोई ढंग की नौकरी ढूंढ लूं. 10 साल से ज्यादा समय तक लोग मुझे हमेशा एक सही नौकरी के लिए कहते रहे. मैं एक ऐसे परिवार से आता हूं जहां पर जब तक आप किसी ए-ग्रेड कॉलेज से इंजीनियरिंग नहीं कर लेते हैं, लोग आपको नीची निगाह से देखते हैं. मैं अपने पूरे परिवार में पहला बिजनेसमैन था.'
कामथ का कहना है कि कोविड के बाद संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है. कोविड के बाद बिजनेसेज ने जो ग्रोथ देखी है, वो टिकाऊ नही है. उन्होंने कहा, पिछला साल ब्रोकिंग बिजनेस का चरम था.
कामथ अतीत को याद करते हैं ये भी बताते हैं कि कैसे-कैसे निवेशकों का भरोसा उन पर बढ़ा.
उन्होंने बताया' पहले तीन साल लोग हमारे पास 50,000 रुपये लगाने से भी डरते थे. आज हमारे पास ऐसे ग्राहक हैं जिन्होंने हमारे साथ 500 करोड़ रुपये लगाए हैं. हमारा फिलॉसफी कस्टमर फर्स्ट की है. बाकी प्लेटफॉर्म यूजर्स को ट्रेड करने के लिए उकसाते हैं, जबकि हम ऐसा नहीं करते हैं.