बीते कुछ दिन से बाजार में दबाव है. केवल मई महीने में सेंसेक्स 1.36% और निफ्टी 1.34% टूट चुके हैं. निफ्टी बैंक, निफ्टी मिडकैप-स्मॉलकैप100 और निफ्टी 500 में 1.4% से 3.2% तक की गिरावट आ चुकी है. लेकिन इस बिकवाली की वजह क्या है? क्या मार्केट उसी करेक्शन फेज में एंट्री कर चुका है, जिसका अंदेशा मार्केट के पंडित लगा रहे थे, या फिर इससे भी बुरा वक्त आने वाला है?
फिलहाल, तमाम ऐसी वजहें हैं, जो बाजार में गिरावट पर असर डाल रही हैं.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs) बाजार से पैसा बाहर निकालने के मूड में नजर आ रहे हैं. NSDL के मुताबिक, मई में अबतक FPIs ने 3,899.08 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. जबकि अप्रैल में भी FPIs ने 8,671 करोड़ रुपये शेयर बाजार से खींच लिए थे. विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से मोहभंग होना गिरावट की एक बड़ी वजह है.
जैसा कि दुनिया जानती है, शेयर बाजार चलता है सेंटिमेंट पर. बाजार के लिए जो खबर पॉजिटिव होती है, उस पर बाजार तेजी से ऊपर भागता है और हल्का सा डर और चिंता से बाजार पर आता है दबाव.
चुनाव का असर बाजार पर दिख रहा है. बीते 3 चरणों में जितनी वोटिंग हुई है, उसमें 2019 जैसा उत्साह नजर नहीं आ रहा. इस बार तीसरे चरण की 93 सीट में 64.4% वोटिंग हुई है, जबकि 2019 में ये आंकड़ा 66.9% था. दूसरे और पहले चरण का हाल भी ऐसा ही है.
इसके चलते बाजार में खबरें गर्म हैं कि मौजूदा पार्टी BJP इस बार उतनी सीटें नहीं जीत रही जितने का दावा किया जा रहा था. हालांकि, BJP इस बार के लोकसभा चुनाव में हार जाएगी, निवेशकों को इसकी आशंका नहीं है.
US फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने जुलाई 2023 को आखिरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी. तब से ब्याज दरें 5.25%-5.50% की रेंज में बरकरार हैं. ये कई दशकों का उच्चतम स्तर है.
निवेशकों का मानना था कि कैलेंडर ईयर 2024 में US फेड ब्याज दरों में कमी ला सकता है, इस साल 0.75% तक ब्याज दरों में कटौती का अनुमान जताया गया था. लेकिन 1 मई की मीटिंग में जेरोम पॉवेल ने उन उम्मीदों पर भी पानी फेर दिया. पॉवेल ने कहा कि महंगाई की दरों पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरों के फिलहाल कुछ वक्त तक कमी लाने की संभावना नहीं है.
FOMC की ओर से जारी बयान में कहा गया कि कमिटी को ब्याज दरों में अभी कटौती कटौती करना उचित नहीं लगता है, क्योंकि अभी महंगाई दर 2% के ऊपर है. जब हमें ये भरोसा हो जाए कि महंगाई 2% की ओर बढ़ रही है, तब हम कोई फैसला लेंगे.
अमेरिकी फेड का ब्याज दरों को लेकर हॉकिश रवैया गिरते डॉलर के लिए सपोर्ट का काम कर रहा है. मजबूत डॉलर की वजह से अमेरिकी बॉन्ड यील्ड भी मजबूत हो रही है. 1 जनवरी 2024 को जो अमेरिकी 10-ईयर बॉन्ड यील्ड 3.88% पर था, वो 9 मई 2024 को 4.5% पर पहुंच चुका है. यही वजह है कि निवेशक अब अपना पैसा इक्विटी से निकालकर करेंसी और ट्रेजरी में डाल रहे हैं.
NSE का इंडिया वॉलिटिलिटी इंडेक्स (VIX) में बीते 10 से ज्यादा दिन से तेजी नजर आ रही है. 9 मई को ये 19.17 पर पहुंच गया जो कि इसका 52-हफ्ते का उच्चतम स्तर है. 23 अप्रैल को इंडिया VIX 10.20 पर बंद हुआ था और 9 मई को ये 19.17 पर पहुंच गया. 10 ट्रेडिंग सेशन में ये लगभग दोगुना हो गया है. वॉलिटिलिटी इंडेक्स का इस कदर चढ़ना, नए निवेशकों के मन में आशंका पैदा करता है, इसलिए वो बाजार से दूरी बनाकर रख रहे हैं. वैसे आमतौर पर देखा गया है कि चुनावों के दौरान विक्स में तेजी आती है, जो नतीजों के बाद स्थिर होती है.
जिन निवेशकों ने बाजार में अपना पैसा लगाया है, वो अनिश्चिचतता के चलते बाजार से अपना पैसा बाहर निकाल रहे हैं, वहीं जो निवेशक बाजार में को लेकर अनिश्चित हैं, वो अपना पैसा डालने में कतरा रहे हैं. तेज उतार-चढ़ाव के चलते बाजार में अनिश्चितता साफ नजर आ रही है.