बजट से में टैक्स राहतों से सैलरीड क्लास के चेहरे पर भले ही थोड़ी मुस्कान आई हो, लेकिन शेयर बाजार का दर्द खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. सोमवार को भारतीय बाजार लहूलुहान हैं, दोनों इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी करीब 1% की गिरावट के साथ ट्रेड करते हुए दिखे हैं. लेकिन ये गिरावट आ क्यों रही है, क्या है इसके पीछे वजह, चलिए देखते हैं.
भारतीय बाजार की ये गिरावट डॉनल्ड ट्रंप के उस फैसले की देन है जिसकी वजह से दुनिया भर के बाजारों में एक घबराहट सी फैल गई है. ट्रंप ने अपने सबसे अहम ट्रेड पार्टनर्स कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगा दिया है, जो कि 4 फरवरी से लागू भी हो जाए. ट्रंप ने टैरिफ वॉर ने बाजार का मूड और सेंटीमेंट दोनों खराब कर दिया है, बाजार की इस बात की भी आशंका है कि ट्रंप का अगला कदम क्या होगा, क्या वो दूसरे देशों पर भी टैरिफ लादेंगे, क्योंकि उन्होंने यूरोपियन यूनियन को धमकी दे दी है.
रुपये में रिकॉर्ड कमजोरी
ट्रंप के टैरिफ से डॉलर ताकतवर हुआ है, डॉलर इंडेक्स 109.84 की ऊंचाई पर पहुंच गया है, जबकि दूसरी तरफ रुपया जो कि साल 2024 में 2.8% तक पहले ही टूट चुका है, इस साल भी हालात बेहतर नहीं दिख रहे हैं, क्योंकि रुपया सोमवार को खुलते ही पहली बार 87 के स्तर तक फिसल गया.
बाजार को डर है कि टैरिफ वॉर की शुरुआत होने से पूरी दुनिया में एक बार फिर से महंगाई के बढ़ने का खतरा मंडरा सकता है. अगर महंगाई बढ़ी तो उसको नियंत्रित करने के लिए दुनिया भर के सेंट्रल बैंक्स एक बार फिर ब्याज दरों को बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं, दरों में कटौती का सिलसिला खत्म हो सकता है. इस आशंका से आगे भी बाजारों पर दबाव दिख सकता है. इस हफ्ते के आखिर में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक है. देखना होगा कि रिजर्व बैंक टैरिफ को लेकर क्या रुख अख्तियार करता है और ब्याज दरों को लेकर क्या फैसला करता है.
इस पूरे घटनाक्रम में विदेशी निवेशक भारत बाजार से अपना पैसा निकालने में लगे हुए हैं, जनवरी में FPIs ने करीब 82 हजार करोड़ रुपये की बिकवाली की थी, जो कि पिछले साल अक्टूबर मे 1.1 लाख करोड़ रुपये की बिकवाली के बाद सबसे ज्यादा है. FPIs भारतीय बाजार से अब भी पैसा निकाल रहे हैं.