लाइट्स, कैमरा और नो-एक्शन...2 साल तक चली लंबी बातचीत के बाद सोनी ग्रुप और जी ग्रुप के साथ मर्जर डील (Zee-Sony Merger Deal) का क्लाइमेक्स पर पहुंचने से पहले ही THE END हो गया. 10 बिलियन डॉलर की ये मर्जर डील देश की सबसे बड़ी मीडिया कंपनी बनाने जा रही थी.
ये मर्जर डील सोनी के भारतीय यूनिट कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (Culver Max Entertainment) और जी एंटरटेनमेंट (ZEEL) के बीच होनी थी, लेकिन 22 जनवरी, 2024 को सोनी ने ये कहते हुए डील को खत्म करने का ऐलान कर दिया कि जी ने तय वक्त पर शर्तें पूरी नहीं की.
ऐसे में सवाल ये उठता है इतने लंबे समय तक मर्जर पर बातचीत करने के बाद ऐसा क्या हुआ कि सोनी को डील कैंसिल करनी पड़ी. NDTV प्रॉफिट के पास इस सवाल का जवाब है. जी एंटरटेनमेंट ने मर्जर एग्रीमेंट में कुछ ऐसी शर्तें रखीं थी, जो सोनी को नामंजूर थीं, और यही इस मर्जर के टूटने की वजह बनी.
क्या थी वों वजहें? NDTV प्रॉफिट के पास इसकी इनसाइड स्टोरी है, जिसे एक-एक करके समझते हैं.
जी ग्रुप ने सोनी को पहला प्रस्ताव दिया था कि वो मर्जर को आगे बढ़ने दे, जी एंटरटेनमेंट के MD&CEO पुनीत गोयनका को इसका नेतृत्व करने दिया. इसके साथ ही जी का प्रस्ताव था कि एक न्यूट्रल CEO की तलाश की जाएगी, जिस पर दोनों पार्टियों की सहमति हो.
सोनी को दिए गए अपने दूसरे प्रस्ताव में जी ने कहा कि पुनीत गोयनका अपना पद छोड़ने की पेशकश करेंगे, लेकिन शर्त ये है कि या तो खुद पुनीत गोयनका या फिर उनका कोई नॉमिनी बोर्ड में शामिल होगा, यानी पुनीत गोयनका कंपनी में एक बोर्ड सीट सुरक्षित करना चाहते थे.
जी ग्रुप के इन प्रस्तावों पर सोनी ग्रुप ने असहमति जताई, सोना ने कहा कि पुनीत गोयनका को अपना पद छोड़ना ही होगा, जहां तक बात कंपनी बोर्ड में सीट की है, हम उसके लिए भी राजी नहीं हैं. चाहे वो गोयनका के लिए हो या फिर उनके नॉमिनी के लिए.
सोनी ने जी ग्रुप के न्यूट्रल CEO वाले प्रस्ताव को भी मानने से इनकार कर दिया. सोनी का कहना था कि नई एंटिटी की जिम्मेदारी सोनी इंडिया के MD और CEO एन पी सिंह ही संभालेंगे, न्यूट्रल CEO के विचार से वो सहमत नहीं है. सोनी ने साफ कर दिया कि वो पुनीत गोयनका को अंतरिम CEO के तौर पर भी स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हैं.
दोनों पार्टियों के बीच इन मुद्दों पर तनातनी बढ़ने और बातचीत किसी दिशा में नहीं जाते दिखने पर सोनी ने डील खत्म करने के लिए जी ग्रुप को टर्मिनेशन लेटर भेज दिया और साथ ही 90 मिलियन डॉलर की टर्मिनेशन फीस भी मांगी. जिस पर अब जी भी कानूनी रास्ते तलाश रहा है. सोनी के टर्मिनेशन फीस की मांग के खिलाफ जी ग्रुप भी काउंटर क्लेम कर सकता है. जी इस बात पर भी बहस कर सकता है कि उसने डील को लेकर सारी शर्तें पूरी की हैं.