वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि बाजार में हमेशा हाई और लो साइकिल से गुजरते है. ये शॉर्ट टर्म की उथल-पुथल बाजार के सफर का हिस्सा है. बाजार में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं पर भारत का फाइनेंशियल इकोसिस्टम लचीला बना हुआ है और ग्रोथ पर फोकस है. वाणिज्य मंत्री ने कहा कि पब्लिक और प्राइवेट कैपेक्स दोनों में रिकवरी के संकेत दिख रहे हैं, ऐसे में जल्द हालात सुधरेंगे.
केंद्रीय मंत्री का ये भी कहना है कि बाजार अपने डायनामिक्स के हिसाब से चलता है और ये डायनामिक्स अंतरराष्ट्रीय हालातों और घरेलू ट्रेंड दोनों से प्रभावित होते रहते हैं.
कोच्चि में चल रहे केरल ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री, GDP के हिसाब से दुनिया कि सबसे बड़ी इंडस्ट्रीज में से एक है. इस ग्रोथ के लिए उन्होंने DIIs यानी घरेलू इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स को क्रेडिट दिया, जिन्होंने भारतीय इक्विटी कल्चर में परिपक्वता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पीयूष गोयल ने ये भी माना कि बाजार कई फैक्टर्स से प्रभावित हो सकते हैं और कुछ पहलू ऐसे भी हैं जो नियंत्रण से परे हैं. उन्होंने कुछ उदाहरणों के हवाले अपनी बात रखी. जैसे कुछ उद्योगों में वैल्यूएशन, मिसाल के तौर पर कार डीलरशिप जहां बहुत ऊंचे स्तर पर इंवेंट्री आर्टिफिशियली बढ़ाई गई हो सकती है, क्योंकि निवेशकों में पीछे छूट जाने का डर था और निवेशक सिस्टम में ज्यादा मुनाफा लेने चक्कर में थे.
सुपर प्रॉफिट की खुशी मनाने वाले शेयरहोल्डर्स को जिम्मेदारियों के प्रति सचेत रहना जरूरी है. उनका कहना है, हाल की बाजार गतिविधि कई निवेशकों के लिए एक चेतावनी है. बाजार की उथल-पुथल के बावजूद, गोयल भारत की क्षमता के बारे में आश्वस्त हैं, उन्होंने कहा कि मजबूत नींव वाली कंपनियों के वैल्यूएशन अभी भी अच्छे बने हुए है.
भविष्य को देखते हुए, गोयल काफी आशावादी हैं. उन्होंने कहा भारत एक सशक्त राष्ट्र है जिसकी विकास की कहानी आकर्षक है, सही रास्ते पर है. हालांकि शॉर्ट-टर्म अस्थिरता कुछ देर तक बनी रह सकती है, लेकिन गोयल का कहना है कि जब तक निवेशकों को गुमराह नहीं किया जाता, तब तक भारत की विकास क्षमता ऐसे ही बनी रहेगी, जो देश के वित्तीय इतिहास में एक परिवर्तनकारी चरण है.