ADVERTISEMENT

क्या HDFC बैंक मैनेजमेंट का कमजोर कम्युनिकेशन रहा शेयर में बड़ी गिरावट की वजह?

HDFC बैंक के नतीजों से बाजार ने पॉजिटिवली नहीं लिया और शेयर बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआय
NDTV Profit हिंदीमुरलीधर स्वामीनाथन
NDTV Profit हिंदी07:17 PM IST, 18 Jan 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

HDFC बैंक (HDFC Bank) के दिसंबर नतीजे (Q3FY24) के बाद शेयर बुरी तरह टूटा. इस गिरावट में एक बड़ा योगदान विदेशी निवेशकों (FIIs) का भी रहा.

इस गिरावट का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि शेयर के मार्केट कैप में करीब $11 बिलियन की गिरावट आई है. बैंक नतीजों से पहले अपने अपडेड में बाजार को कमजोर नतीजों का अंदेशा सही तरीके से नहीं दे पाया, इसकी वजह से इतनी बड़ी गिरावट आई है.

मामले से जुड़े लोगों ने NDTV Profit को बताया कि मैनेजमेंट की ओर से कंपनी के मौजूदा हालात के बारे में इन्वेस्टर्स को सही तरह से गाइड किया जाना जरूरी था. उनका कहना है, नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) की वजह से इन्वेस्टर्स का फोकस कम हुआ.

हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प (HDFC) के साथ मर्जर के बाद मैक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं और इसके बारे में अनुमान लगाए जाने से बचने के लिए सही तरह से संवाद किया जाना जरूरी था.

फंड्स की बढ़ती कीमतें और टाइट लिक्विडिटी NIMs को प्रभावित करते हैं. मामले से जुड़े एक शख्स ने कहा,'इक्विटी पर मिलने वाले रिटर्न पर मार्केट का फोकस रहता है'.

फिलहाल, बैंक की लाइबिलिटी में 21% योगदान बड़ी कीमतों पर लिया गया उधार है, जो कि जुलाई 2023 तक मर्जर से पहले 8% पर था.

मामले को समझने वाले एक शख्स ने कहा कि मैनेजमेंट को डैमेज कंट्रोल करने के लिए मीडिया में आकर मार्केट को सब कुछ स्पष्ट करना चाहिए.

जिस समय ब्याज दरें ऊंचाई पर हैं, फंड्स की कीमतें भी ज्यादा रहेंगी. लेकिन ब्याज दरों के ऊंची रहने का साइकिल अपने अंत पर है, डिपॉजिट रेट्स की दरों में बढ़ोतरी एक समझदारी से भरी स्ट्रैटेजी नहीं हो सकती.

HDFC बैंक ने जानकारी दी कि कंपनी का तिमाही आधार पर मुनाफा 16,373 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 1,500 करोड़ रुपये का टैक्स राइट-बैक और 1,212 करोड़ रुपये का कंटिनजेंट प्रोविजन शामिल है.

अधिकतर मेट्रिक्स के आधार पर बैंक मजबूत स्थिति में नजर आया, लेकिन डिपॉजिट की तिमाही आधार पर 1.9% की कमजोर ग्रोथ और कुल ब्याज आय (NII) पर अनुमान से कमजोर ग्रोथ ने बाजार में तहलका ला दिया.

बैंक के मैनेजमेंट के मुताबिक, क्रेडिट-डिपॉजिट रेश्यो को नीचे लाने के लिए, जिस रफ्तार से क्रेडिट में बढ़ोतरी हो रही है, डिपॉजिट को उस रफ्तार से 300-400 bps बढ़ाने की जरूरत है. फिलहाल, लेंडर्स का क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात 110% पर है क्योंकि लोन डिपॉजिट से ज्यादा हो रहे हैं.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT