हेलिओस कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार से चीन में फॉरेन इंस्टीट्यूशन कैपिटल का ऑउटफ्लो कुछ और नहीं बल्कि बड़े फंड हाउसों का अंडरवेट मार्केट में रिपोजिशनिंग है. यानी वो एक ओवरवेट मार्केट से निकलकर अंडरवेट मार्केट में निवेश कर रहे हैं.
अरोड़ा ने ताइवान और दक्षिण कोरिया को एक हब के रूप में बताते हुए NDTV प्रॉफिट को बताया, "अगर कोई फिक्स्ड अमाउंट के साथ चीन में निवेश करना चाहता है, तो वहां से बाहर निकलने के लिए कई विकल्प हैं.
उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म के लिए, हेज फंड और अन्य इंस्टीट्यूशन निवेशक जो चीन पर अंडरवेट थे, अब वहां के शेयरों में निवेश करेंगे. अरोड़ा ने कहा कि इससे उभरते बाजारों के बेंचमार्क में वेटेज में बदलाव का मामूली असर होगा.
भारतीय म्यूचुअल फंड के पास आभी काफी कैश है. यदि अमेरिका और चीन जैसे अन्य सभी बाजार अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो इंडियन फंड मैनेजर्स को भी आत्मविश्वास के साथ कैश का इस्तेमाल करना होगा.
उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट SEBI के डेरिवेटिव मार्केट में सख्ती भी है. और ये गिरावट केवल चीन में हुई घटनाओं का रिएक्शन नहीं था.
उन्होंने कहा कि चीन में प्रवेश करने और भारत से बाहर निकलने का ट्रेंड 30 दिन से कम समय तक चलेगा क्योंकि विदेशी निवेशकों का लॉन्ग टर्म कैपिटल निवेश बरकरार रहेगा.
उन्होंने कहा, 'ये संभव है कि नया पैसा चीन जाए और वो कुछ समय के लिए भारत से बेहतर प्रदर्शन करे, लेकिन ये कुछ समय के लिए वैल्यू स्टॉक्स की तरह ग्रोथ स्टॉक्स से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. ये संभावना नहीं है कि हम नकारात्मक होंगे.
अरोड़ा ने ये भी कहा कि घरेलू निवेशक विदेशी निवेशकों के जरिए बेचे गए शेयरों में तेजी ला रहे हैं, जो एक्सचेंजों पर साझा किए गए रोजाना आंकड़ों से स्पष्ट है, जो स्पष्ट खरीद-पर-गिरावट की रणनीति दिखा रहा है.