वायदा बाजार में छोटे निवेशक और ट्रेडर जमकर सट्टेबाजी कर रहे हैं. SEBI की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 89 प्रतिशत ट्रेडर इसमें पैसा गंवा रहे हैं. SEBI की रिपोर्ट के मुताबिक FY24 में 92.5 लाख रिटेल ट्रेडर्स ने वायदा कारोबार में 51,689 करोड़ रुपये गंवाए हैं.
मगर अब मार्केट रेगुलेटर ने इस पर काबू पाने के लिए 7 नए नियमों का प्रस्ताव रखा है. इसके लिए मंगलवार को SEBI ने कंसल्टेशन पेपर जारी कर दिया है.
वायदा में सट्टेबाजी कम करने की कोशिश
ऑप्शन स्ट्राइक का रेशनलाइजेशन
ऑप्शन प्रीमियम अपफ्रंट लेना
एक्सपायरी के दिन कलेंडर स्प्रेड के फायदे को हटाना
इंट्रा-डे में पोजीशन लिमिट पर नजर रखना
कॉन्ट्रैक्ट साइज छोटा करना
वीकली इंडेक्स प्रोडक्ट का रेशनलाइजेशन
कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी के करीब मार्जिन बढ़ाना
इंडेक्स के चालू या मौजूदा भाव (prevailing price) के करीब स्ट्राइक इंटरवल को यूनिफॉर्म यानी एक जैसा होना चाहिए (चालू भाव के 4% के करीब के स्ट्राइक) लेकिन चालू भाव से दूर के स्ट्राइक इंटरवल को बढ़ाना चाहिए (चालू भाव के 8% से दूर के स्ट्राइक).
ऑप्शंस में ज्यादा से ज्यादा 50 स्ट्राइक हों. फिलहाल 70 स्ट्राइक्स पर ट्रेडिंग होती है.
फिलहाल ऑप्शन में कॉल या पुट खरीदने वाले से अपफ्रंट मार्जिन कलेक्शन का प्रावधान नहीं है. हालांकि फ्यूचर्स और ऑप्शन सेलर्स से मार्जिन अपफ्रंट लिया जाता है. मार्केट रेगुलेटर ने ऑप्शन में कॉल या पुट खरीदने वाले से अपफ्रंट मार्जिन लेने का प्रावधान रखा है.
SEBI ने एक्सपायरी के दिन भारी उतार-चढ़ाव को काबू में रखने के लिए कुछ प्रस्ताव रखे हैं. इसके लिए उसने एक्सपायरी के दिन कलेंडर स्प्रेड के फायदे को हटाने का प्रस्ताव रखा है.
दूसरे शब्दों में एक्सपायरी दिन में उतार-चढ़ाव और वॉल्यूम की खामियों को दूर करने के लिए कलेंडर स्प्रेड के फायदे को हटाने का प्रस्ताव है. इसके लिए उसी दिन खत्म होने वाले कॉन्ट्रैक्ट में मार्जिन का फायदा नहीं दिया जाएगा.
क्लियरिंग कॉरपोरेशंस और एक्सचेंजेज को इंडेक्स वायदा सौदों की इंट्रा-डे मॉनेटरिंग यानी नजर रखनी चाहिए.
इसी तरह फिलहाल वायदा में सौदों के लिए न्यूनतम वैल्यू 5 से 10 लाख रुपये है, आखिरी बार 2015 में फिक्स किया गया था. अब प्रस्ताव है कि वायदा में सौदों के लिए न्यूनतम वैल्यू 15 से S20 लाख रुपये कर दिया जाए, यही नहीं अगले छे महीने में इसे बढ़ाकर 20 से 30 लाख रुपये के बीच करने का भी सुझाव है.
SEBI ने वीकली इंडेक्स प्रोडक्ट्स को भी रेशनलाइज करने का सुझाव रखा है. मार्केट रेगुलेटर चाहता है कि सिर्फ एक बेंचमार्क इंडेक्स में ही वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार का प्रावधान हो. एक्सपायरी के दिन वायदा बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. दोनों बड़े एक्सचेंजेज में देखें तो हर दिन किसी न किसी बेंचमार्क इंडेक्स की एक्सपायरी होती रहती है. ऐसे में हर रोज बाजार में बहुत अनिश्चितता रहती है.
फिलहाल NSE में निफ्टी, बैंक निफ्टी, निफ्टी फाइनेंस में वीकली एक्सपायरी का प्रावधान है.
एक्सपायरी के दिन या एक दिन पहले मार्जिन बढ़ाने से उतार-चढ़ाव पर काबू पाने में मदद मिलेगी. एक्सपायरी से एक दिन पहले (Extreme Loss Margin OR ELM) एक्सट्रीम लॉस मार्जिन 3% बढ़ाया जाए और एक्पायरी के दिन इसे 5% और बढ़ाया जाए.