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SEBI ने जारी किया गोल्ड ट्रेडिंग का नया सर्कुलर, रिस्क मैनेजमेंट, डिपॉजिटरीज, वॉल्ट मैनेजर्स के लिए नए नियम

इस सर्कुलर में इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट यानी EGRs की ट्रेडिंग को तीन चरणों में बांटा गया है. नए नियमों में SEBI ने पारदर्शिता पर ज्यादा जोर दिया है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी09:19 PM IST, 24 Jun 2024NDTV Profit हिंदी
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मार्केट रेगुलेटर SEBI ने गोल्ड ट्रेडिंग और गोल्ड एक्सचेंज से जुड़े गाइडलाइंस जारी कर दिए हैं. गोल्ड एक्सचेंज को इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट यानी EGRs के नाम से भी जाना जाता है. इस सर्कुलर में रिस्क मैनेजमेंट, डिपॉजिटरीज और वॉल्ट मैनेजर्स से जुड़े नियम शामिल हैं. इससे सभी स्टेकहोल्डर्स को एक जगह पर सभी नियमों की जानकारी मिल जाएगी.

तीन चरणों में होगी ट्रेडिंग

सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसिप्ट यानी EGRs की ट्रेडिंग को तीन चरणों में बांटा गया है. सबसे पहले EGR तब बनाए जाते हैं जब फिजिकल गोल्ड को मान्यता प्राप्त वॉल्ट्स यानी तिजोरियों में जमा किया जाता है. वॉल्ट मैनेजर्स, डिपॉजिटरी,स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन के लिए एक कॉमन इंटरफेस के जरिए मैनेज किया जाता है. एक बार EGR बनने के बाद इसे खरीदार के डीमैट खाते में दर्ज किया जाता है और स्टॉक एक्सचेंजों पर इसकी ट्रेडिंग के मंजूरी दे दी जाती है. कोई गड़बड़ी नहीं हो इसके लिए EGR डेटा और फिजिकल सोने का समय-समय पर मिलान किया जाता है.

दूसरा, EGR का स्टॉक एक्सचेंजों पर लगातार कारोबार होता है. इसे बनाने की जानकारी समय-समय पर डिपॉजिटरी, स्टॉक एक्सचेंज और क्लियरिंग कॉरपोरेशन के बीच साझा की जाती है. खरीदारों और विक्रेताओं के बीच EGR और नकदी ट्रांसफर करके ट्रेड का सेटलमेंट किया जाता है.

आखिर में, EGR को वापस फिजिकल सोने में तब्दील किया जा सकता है. डीमैट खाताधाकर डिपॉजिटरीज के जरिए इसके लिए अर्जी देते हैं. इस अर्जी के बाद डिपॉजिटरीज सोने की डिलिवरी के लिए वॉल्ट मैनेजर्स के साथ तालमेल करते हैं. एक बार जब फिजिकल सोने की डिलिवरी हो जाती है तो इससे जुड़ा EGR खत्म हो जाता है. इस ट्रांजैक्शन के बाद एक बार फिर सारे रिकॉर्ड को अपडेट किया जाता है.

SEBI तय करेगा प्राइस बैंड

स्टॉक एक्सचेंज इस ट्रेड के लिए एक प्राइस बैंड को लागू करेगा. शुरू में पिछले दिन की क्लोजिंग प्राइस के 10% के ऊपर-नीचे के का भाव तय रहेगा. अगर बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव भरा ट्रेड होता है तो इसके बाद अतिरिक्त 5% का प्राइस बैंड लागू होगा.

वॉल्ट को सभी ट्रांजैक्शन को नियमों के अनुसार पूरा करने के लिए एक कंप्लायेंस ऑफिसर नियुक्त करना होगा. इस कंप्लायेंस ऑफिसर को हर तिमाही डिक्लियरेशन देना होगा. वॉल्ट के पास EGR ट्रेड सही से करने के लिए स्ट्रांग रूम की सही व्यवस्था होनी चाहिए.

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