उत्तर प्रदेश के हाथरस (Hathras) में मंगलवार को 'भोले बाबा' उर्फ नारायण साकार हरि (Narayan Saakar Hari) की सत्संग में हुए हादसे में मरने वालों की संख्या अब 121 पहुंच गई है, जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस के सरकारी अस्पताल का दौरा किया और घायलों से जाकर मुलाकात की.
मुख्यमंत्री योगी ने X पर लिखा कि - हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में घायल हुए लोगों से आज अस्पताल में भेंट कर उनका कुशल-क्षेम जाना और चिकित्सकों से उनके उपचार के संबंध में जानकारी प्राप्त की. कुशल चिकित्सकों के नेतृत्व में सभी का समुचित उपचार शीर्ष प्राथमिकता पर किया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के सरकार की तरफ से बताया गया है कि इस हादसे में मारे गए 116 लोगों की अबतक पहचान की जा चुकी है. सरकार ने बताया कि इस सत्संग में हिस्सा लेने के लिए उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग आए थे, साथ ही कई लोग पड़ोसी राज्यों से भी इस सत्संग में आए थे. पुलिस प्रशासन ने आम जनता की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं
ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. कोर्ट से मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी गठित करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमिटी बनाकर इसकी जांच करवाई जाए. याचिका में कहा गया है कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए गाइडलाइंस बनाई जाएं और सुरक्षा उपाय किए जाएं. साथ ही अधिकारियों और अथॉरिटीज पर उनकी लापरवाही को लेकर सख्त कार्रवाई की भी मांग की गई है.
भोले बाबा उर्फ सूरजपाल का अगला कार्यक्रम 4 जुलाई से आगरा के सैंया में होने वाला था, जिसके लिए तैयारियां पूरी हो चुकी थीं, पंडाल को खड़ा कर दिया गया था कुछ काम बाकी था, हाथरस की घटना के बाद इस सत्संग को स्थगित कर दिया है. आगरा के सैंया थाना क्षेत्र में ग्वालियर रोड पर नगला केसरी में तैयारी चल रही थी.
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने हाथरस भगदड़ में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना की है. सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर उन्होंने कहा, घायलों को मेडिकल सहायता प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है.
हाथरस हादसे पर NDTV ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में पाया कि भगदड़ की चपेट में आए लोगों को सही समय पर इलाज भी नहीं मिल सका, जो लोग सत्संग में घायल हुए. उनके परिवार वालों का कहना है कि लोग एक-दूसरे पर गिरते गए, इस दौरान दम घुटने से बहुत लोगों की मौत हुई. ट्रॉमा सेंटर में भी डॉक्टर्स तक नहीं थे, ऐसे में सैकड़ों घायल ट्रामा सेंटर के बाहर ही पड़े थे. इसके साथ ही इस हादसे में प्रशासनिक लापरवाही भी उजागर हुई है.