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Covishield Vaccine Row: एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जांच की मांग

एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को मैन्‍युफैक्‍चरिंग लाइसेंस दिया गया था और यहां कोविशील्ड नाम से वैक्‍सीन तैयार की गई थी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:16 PM IST, 02 May 2024NDTV Profit हिंदी
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एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (AstraZeneca Vaccine) से जुड़े खतरों और जानमाल की हानि को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है. इस याचिका में वैक्‍सीन से जुड़े दुष्प्रभावों (Side Effects) और जोखिम (Risk Factors) की जांच के लिए एक एक्‍सपर्ट पैनल गठि‍त करने का आग्रह किया गया है.

याचिका में एडवोकेट विशाल तिवारी की मांग है कि कोविड के दौरान वैक्‍सीनेशन से गंभीर रूप से प्रभावित लोगों के लिए डैमेज पेमेंट सिस्‍टम बनाया जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिलाया जा सके. उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को इस संबंध में निर्देश देने का आग्रह किया है.

एस्ट्राजेनेका के फॉर्मूले पर भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) को मैन्‍युफैक्‍चरिंग लाइसेंस दिया गया था और यहां कोविशील्ड नाम से वैक्‍सीन तैयार की गई थी. याचिका के अनुसार, देश में कोविशील्ड की 175 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं.

कंपनी ने मानी साइड इफेक्‍ट की बात

द टेलीग्राफ (UK) की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की कोर्ट में स्वीकार किया है कि उसकी वैक्सीन साइड इफेक्ट की वजह बन सकती है. कोर्ट को दिए हलफनामे में कंपनी ने कहा है, 'कोविशील्ड (Covishield) कुछ मामलों में, ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है जिससे ब्लड क्लॉट (खून के थक्के) जम सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो सकता है.

UK में ₹1,000 करोड़ के मुआवजे की मांग

एस्ट्राजेनेका ने कहा कि यह माना जाता है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, बहुत ही दुर्लभ मामलों में, TTS (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम) की वजह से बन सकता है. हालांकि ये किसी वैक्सीन की गैर-मौजूदगी में भी ये सिंड्रोम हो सकता है. बता दें कि कंपनी के खिलाफ UK हाई कोर्ट में 51 मामले दर्ज हैं. पीड़ितों ने कंपनी से करीब 1000 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है.

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