कारों की सेफ्टी को लेकर बीते कुछ वर्षों में संजीदगी बढ़ी है. लोग कार खरीदने से पहले माइलेज, कीमत और कलर के अलावा अब सिक्योरिटीज फीचर्स पर भी बहुत ध्यान देते हैं. आपकी कार कितनी सेफ है, इसका पता उस कार को दी गई स्टार रेटिंग या सेफ्टी रेटिंग से पता चलता है, जिसे ग्लोबल NCAP देता है. ये UK की एक कंपनी है.
सरकार अब GNCAP की जगह अपनी रेटिंग BNCAP की शुरुआत करने जा रही है. भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (BNCAP) को 1 अक्टूबर, 2023 से लागू किया जाना है. इसमें गाड़ियों को 1 स्टार से 5 स्टार के बीच रेटिंग दी जाएगी. जहां पर 1 स्टार का मतलब है बहुत खराब और 5 स्टार का मतलब है सबसे बढ़िया रेटिंग यानी सबसे सुरक्षित गाड़ी.
रेटिंग पर अब सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है.
BNCAP के तहत 1 अक्टूबर, 2023 से कार मैन्युफैक्चरर्स या इंपोर्टर्स कारों को स्टार रेटिंग दिलवाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से तय की गई प्रक्रिया के मुताबिक टेस्टिंग एजेंसी को एक फॉर्म में गाड़ी से जुड़ी सभी जानकारियां देंगे.
टेस्टिंग एजेंसी BNCAP के आधार पर AIS-197 मानकों को जांचते हुए रेटिंग देगी. कार को रेटिंग मिलने के बाद उस रेटिंग को प्रमाणित करने वाली एजेंसी यानी सरकार की वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा.
मंत्रालय का प्रस्ताव है कि BNCAP सभी M1 कैटेगरी गाड़ियों के लिए लागू होगा, चाहे उनकी मैन्युफैक्चरिंग देश में हुई हो या फिर उन्हें विदेश से इंपोर्ट किया गया हो. M1 कैटेगरी गाड़ियों का मतलब वो सभी पैसेंजर व्हीकल्स जिसमें ड्राइवर समेत 8 लोगों तक बैठने की व्यवस्था होती है.
वाहन किसी वयस्क के लिए कितना सुरक्षित है.
वाहन में अगर बच्चे बैठे हैं तो वो उसमें कितना सुरक्षित हैं
वाहन में सेफ्टी टेक्नोलॉजी किस स्तर की है, मतलब क्या गाड़ी में सीट बेल्ट अलार्म है, सेंसर, स्मोक डिटेक्शन है. अगर दुर्घटना हो जाती है तो गाड़ी से निकलना कितना कितना आसान या मुश्किल है.
अबतक देश में ऑटो कंपनियों ग्लोबल NCAP से स्टार रेटिंग हासिल करती है. जो कि उन्हें महंगा भी पड़ता है. उन्हें अपना वाहन टेस्टिंग के लिए विदेश भेजना पड़ता है. लेकिन देश में ही हाई क्वालिटी टेस्टिंग सिस्टम की शुरुआत के बाद ये ऑटो कंपनियों के लिए भी फायदेमंद होगा. क्योंकि उनकी लागत में कमी आएगी.
BNCAP इसलिए लाया जा रहा है क्योंकि ये भारतीय परिवहन की परिस्थितियों, सड़क और ड्राइविंग क्षमताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. UK, यूरोप या अमेरिका जैसे देशों में जिस तरह से गाड़ियां चलाईं जाती हैं और हादसे होते हैं उनका पैटर्न भारत से बिल्कुल अलग हैं. इसलिए विदेशों में वाहनों की सेफ्टी के लिए जो टेस्टिंग होती है, वो ज्यादातर आमने-सामने की टक्कर यानी हेडऑन कॉलिजन से होती है, जबकि भारत में आमने-सामने की टक्कर से ज्यादा अगल बगल की टक्कर के मामले सामने आते हैं.
भारत में लोगों के गाड़ी चलाने का तरीका और रफ्तार विदेशों से अलग है. ग्लोबल NCAP की टेस्टिंग गाड़ियों की 100-110 किलोमीटर की रफ्तार पर होती है, जबकि भारत में बहुत कम ऐसी जगहें हैं जहां इतनी स्पीड में गाड़ियां चलती हों. इसलिए भारत NCAP पूरी तरह से भारतीय सड़कों और परिवहन की प्रकृति को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है.
BNCAP के लिए 28 जून को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया है, सभी स्टेकहोल्डर्स को इस पर अपनी राय देने के लिए 30 दिन का वक्त दिया गया है .