धारावी सोशल मिशन (DSM) की ओर से आयोजित एक बड़े पैमाने के शिविर के दौरान धारावी (Dharavi) में रहने वाले 3,000 लोगों ने मुफ्त नेत्र जांच कराई. ये धारावी में अब तक की सबसे बड़ी पहल है, जो धारावी संसाधन केंद्र सहित कई स्थानों पर आयोजित की गई, जो व्यापक स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
मार्च महीने के दौरान आयोजित इस शिविर में धारावी के विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को शामिल किया गया था. 83% लोगों में प्रेसबायोपिया पाया गया और कई लोगों को ये पता ही नहीं था कि एक साधारण चश्मा उनके जीवन में कितना बड़ा अंतर ला सकता है.
1,200 से अधिक लोगों को मौके पर ही प्रिस्क्रिप्शन चश्मे उपलब्ध कराए गए. जबकि 1,000 से अधिक लोगों को पढ़ने के लिए चश्मे दिए गए. कुल मिलाकर 61% लाभार्थी पहली बार चश्मा पहनने वाले थे जो घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बुनियादी नेत्र देखभाल की लंबे समय से चली आ रही कमी को दिखाता है.
अहम बात ये है कि इस पहल से नेत्र संबंधी अधिक गंभीर समस्याओं को उजागर किया है. 190 से ज्यादा निवासियों को बेहतर देखभाल के लिए अस्पतालों में भेजा गया जिनमें से 60% में गंभीर मोतियाबिंद होने का संदेह था.
जिन लोगों की जांच की गई उनमें से 54% महिलाएं थीं, ये संख्या ऐसे समुदाय में काफी महत्वपूर्ण है जहां चिकित्सा सुविधाएं अक्सर महिला निवासियों की उपेक्षा करती हैं.
NMDPL के प्रवक्ता के मुताबिक 'इस शिविर में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी जमीनी स्तर पर जागरूकता प्रयासों और स्थानीय स्वयंसेवकों के सहयोग से संभव हो सकी.'
उन्होंने कहा, 'हम सिर्फ धारावी के भौतिक वातावरण को ही नहीं बदल रहे हैं बल्कि वास्तविक और ठोस तरीकों से जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी काम कर रहे हैं.'
69 साल के दर्जी पी सेल्वे नायक लाभार्थियों में से एक थे. जब शिविर में उन्हें प्रेसबायोपिया का पता चला, तो उन्हें पढ़ने के लिए चश्मा दिया गया. पिछले कई सालों से उनकी दृष्टि कमजोर होने के कारण उनके लिए जटिल सिलाई का काम करना मुश्किल हो गया था.
उन्होंने कहा, 'इन चश्मों ने मुझे मेरा काम, मेरी दिनचर्या और मेरी आजादी वापस दिला दी.'
वहीं 53 साल के ड्राइवर कुमार थंगराज के लिए चश्मे का मतलब सुरक्षा और आत्मविश्वास की वापसी है. उन्होंने कहा, 'सड़क के संकेतों और दस्तावेजों को पढ़ना मुश्किल हो गया था. अब मैं बिना किसी हिचकिचाहट के गाड़ी चलाने लगा हूं. अब मुझे दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.'
83% प्रतिभागियों में अपवर्तक त्रुटि या प्रेस्बायोपिया पाया गया.
1,032 लोगों को पढ़ने के लिए चश्मे दिए गए और 1,235 लोगों को प्रिस्क्रिप्शन चश्मे दिए गए.
61% लोगों ने पहली बार चश्मा पहना.
190 से अधिक लोगों को अस्पतालों में भेजा गया जिनमें से 60% में गंभीर मोतियाबिंद या अन्य जटिल स्थिति होने का संदेह था.
3,000 लोगों की जांच की गई जिनमें से 54% महिलाएं थीं.