केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBIC) ने सोमवार को किसी कंपनी के मुखयालय द्वारा उसके शाखा कार्यालयों को दी जाने वाले सेवाओं के मूल्यांकन पर स्पष्टीकरण दिया है. CBIC के अनुसार, ऐसी सेवाओं का मूल्य चालान (Invoice) में दिया गया मूल्य माना जाएगा, भले ही एम्पलॉयी कॉस्ट जैसे कुछ घटकों की लागत उसमें शामिल की गई हो या नहीं!
हालांकि, ऐसे मामलों में जहां मुख्यालय ने चालान जारी नहीं किया है, वहां मूल्य 'समान प्रकार और गुणवत्ता की वस्तुओं और सेवाओं' के मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जाएगा. इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा उठाने के लिए इस मूल्य पर विचार किया जाएगा.
CBIC ने कहा कि एक राज्य में स्थित मुख्यालय से दूसरे राज्य में स्थित शाखा कार्यालयों को दी जाने वाली सेवा के मामले में टैक्स देनदारी को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का अनुरोध कई प्रतिनिधियों ने किया था.
CBIC के स्पष्टीकरण के मुताबिक, मुख्यालय से शाखा कार्यालयों को आंतरिक स्तर पर दी जाने वाली सेवाओं के मामले में मुख्यालय की तरफ से जारी चालान में दर्ज मूल्य को संबंधित शाखा कार्यालय शून्य घोषित कर सकता है. ऐसे मामलों में किसी भी तरह के टैक्स कंप्लायंस की जरूरत नहीं रह जाएगी.
AMRG एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि CBIC के इस स्पष्टीकरण से मैन्युफैक्चरिंग, सूचना प्रौद्योगिकी सेवा, कंसल्टेंसी, ट्रांसपोर्टेशन, लॉजिस्टिक और निर्यात जैसे क्षेत्रों में सक्रिय और कई स्थानों से संचालित होने वाले कारोबारों को आंतरिक सेवाओं के लिए कोई बिल जारी करने की जरूरत नहीं रहेगी.
भारत में KPMG के साझेदार और इनडायरेक्ट टैक्स प्रमुख अभिषेक जैन ने कहा कि इस कदम से GST के दायरे से बाहर रखे गए क्षेत्रों को खास राहत मिलेगी. हेड ऑफिस से अन्य राज्य में स्थित ब्रांच ऑफिस को दी जाने वाली सेवा में अब कर्मचारियों की वेतन लागत को जोड़ना जरूरी नहीं होगा.
CBIC ने डिजिटल कॉमर्स के मुक्त नेटवर्क (ONDC) पर सक्रिय कंपनियों को TCS यानी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स कटौती करने के संदर्भ में भी एक स्पष्टीकरण जारी किया है. उसने कहा कि इस मंच पर आपूर्ति करने वाली ई-कॉमर्स फर्म ही GST के तहत TCS कटौती के लिए जिम्मेदार होगी.