सरकार ने रिटेलर्स, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसिंग कंपनियों और बड़ी रिटेलर्स चेन के लिए गेहूं पर स्टॉकहोल्डिंग लिमिट लगा दी है. सरकार ने ये कदम अनाजों की जमाखोरी रोकने और कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए उठाया है.
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि 'सप्लाई चेन के सभी नुमाइंदों को हर शुक्रवार को गेहूं के स्टॉक का खुलासा करना होगा. मैं देश में गेहूं की कमी को दूर करना चाहता हूं'
सरकार का ये कदम तब सामने आया है, जब कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये खबरें आईं कि गेहूं समेत बाकी जरूरी कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने वाली है. संजीव चोपड़ा ने बताया कि सरकार स्टॉकहोल्डिंग लिमिट के जरिए रिटेल कमोडिटीज की रिटेल कीमतों पर काबू करती है.
खाद्य सचिव चोपड़ा ने बताया कि गेहूं की स्थिर कीमतों पर जोर देते हुए कहा कि थोक विक्रेताओं के लिए स्टॉक लिमिट 3,000 मीट्रिक टन होगी, जबकि प्रोसेसर के लिए ये प्रोसेसिंग क्षमता का 70% होगी. बड़ी सीरीज के रिटेल विक्रेताओं के लिए, ये प्रति आउटलेट 10 टन होगी, जिसकी कुल सीमा 3,000 टन होगी. उन्होंने कहा, सिंगल रिटेल विक्रेताओं के लिए यह 10 टन होगा.
उन्होंने ये भी बताया कि 1 अप्रैल, 2023 को गेहूं का ओपनिंग स्टॉक 82 लाख मीट्रिक टन था, जबकि 1 अप्रैल, 2024 को ये 75 लाख मीट्रिक टन था.
चोपड़ा ने कहा कि पिछले साल सरकार की ओर से कुल 266 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई थी, जबकि इस साल 262 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई है. खरीदारी अब भी चल रही है, इसलिए शुरुआती स्टॉक में गेहूं की कमी सिर्फ 3 लाख मीट्रिक टन है.