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लुभावने वि​ज्ञापन दिखाकर ग्राहकों को 'चूना' नहीं लगा सकेंगी कंपनियां, 'डार्क पैटर्न' पर सरकार की कड़ी नजर, ASCI लेगा एक्शन!

देश में विज्ञापनों के 'डार्क पैटर्न' की पहचान कर उस पर रोक लगाई जाएगी. केंद्र सरकार ने ग्राहकों को भ्रामक विज्ञापनों के जरिये बरगलाने को लेकर कंपनियों को चेताया है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी08:31 PM IST, 14 Jun 2023NDTV Profit हिंदी
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दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करने वाली प्रिया ने पिछले दिनों एक OTT का लुभावना एड देखा. 299 रुपये वाला 3 महीने का सब्सक्रिप्शन उन्हें मुफ्त मिल रहा था. लिखा था- पैकेज कंटीन्यू करने के लिए बाद में पैसे देने होंगे. क्रेडिट कार्ड की डिटेल सेव करने की भी शर्त थी. प्रिया ने सोचा- 3 महीने पूरे होने से पहले ही वो 'अनसब्सक्राइब' कर लेंगी, लेकिन प्रोसेस इतना उलझाऊ था कि वो ऐसा नहीं कर पाईं और उनके क्रेडिट कार्ड से 299 रुपये चार्ज हो गए.

ये एक उदाहरण है- विज्ञापन के डार्क पैटर्न का.

ऐसे ही एक मामले में अमे​जन प्राइम (Amazon Prime) को पिछले साल यूरोपियन यूनियन (EU) में आलोचना का सामना करना पड़ा था. सब्सक्रिप्शन में भ्रामक और कई चरणों वाली कैंसिलेशन प्रक्रिया को लेकर आलोचना के बाद उसने ग्राहकों के लिए इसे आसान बनाया.

बहरहाल, आपके काम की खबर ये है कि अब भारत में भी विज्ञापनों के 'डार्क पैटर्न' की पहचान कर उस पर रोक लगाई जाएगी. केंद्र सरकार ने ग्राहकों को भ्रामक विज्ञापनों के जरिये बरगलाने, लुभाने या प्रभावित करने की गलत प्रैक्टिस को लेकर कंपनियों को चेतावनी दी है.

कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री और ASCI ने चेताया

कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने 'डार्क पैटर्न' को लेकर मंगलवार को स्टेकहोल्डर्स के साथ 'इंटरैक्टिव कंसल्ट सेशन' रखा और उनसे परामर्श मांगा. उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) और ASCI ने कंपनियों को भ्रामक विज्ञापनों के जरिए ग्राहकों को लुभाने, बरगलाने और प्रभावित करने को लेकर चेताया भी. DoCA और ASCI ने ऐसी प्रैक्टिस बंद किए जाने की जरूरत बताई.

इस परामर्श चर्चा में गूगल, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, ओला, उबर, जोमैटो, मेटा, मेक माय ट्रिप, यात्रा, स्नैपडील, बिग बास्केट, मीशो, फार्मसी, टाटा 1mg, शिपरॉकेट समेत कई कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए. रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, NASSCOM, ONDC और खेतान एंड कंपनी ने भी भाग लिया.

DoCA और ASCI ने इन कंपनियों को विज्ञापनों में डार्क पैटर्न की पहचान करने के लिए एक सेल्फ रेगुलेटरी फ्रेमवर्क बनाने को कहा है. कंपनियों से इस बारे में परामर्श भी लिया गया.

क्या होता है डार्क पैटर्न?

डार्क पैटर्न का सीधा मतलब विज्ञापनों के भ्रामक इस्तेमाल से है. डार्क पैटर्न यानी ग्राहकों को कोई वस्तु खरीदने या सर्विस लेने के लिए उकसाना. ग्राहकों को बरगलाना या भ्रामक विज्ञापनों के जरिये उन्हें प्रभावित करना.

डार्क पैटर्न के तहत हेरफेर करने वाली प्रैक्टिस की एक विस्तृत रेंज शामिल है, जिनमें ड्रिप प्राइसिंग, भ्रामक विज्ञापन, क्लिक करने के लिए प्रलोभन देना (Clickbait), चॉइस मैनिपुलेशन, झूठी अर्जेंसी, सब्सक्रिप्शन ट्रैप, हिडेन चार्ज, जबरन कार्रवाई, प्राइवेसी कंसर्न वगैरह शामिल हैं.

धोखे से सह​मति लेना कानूनन अवैध: रोहित सिंह

कंज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कंपनियों के प्रतिनिधियों से कहा, 'DoCA के लिए कंज्यूमर्स का संरक्षण सर्वोपरि है. ग्राहकों की पसंद में हेरफेर करने वाले भ्रामक पैटर्न उन्हें पर्याप्त सूचना के अधिकार से बाधित करते हैं. ये व्यवहार ठीक नहीं है और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत अवैध है.'

धोखे से ग्राहकों की सहमति लेने का मतलब 'व्यक्त सहमति' नहीं है. कंज्यूमर्स को पता होना चाहिए कि वे क्या साइन अप कर रहे हैं और उन्हें इससे बाहर निकलने में भी आसानी से सक्षम होना चाहिए.
रोहित कुमार सिंह, सचिव, उपभोक्ता मामले विभाग (DoCA)

आगे उन्होंने कहा, 'DoCA ई-कामर्स और अन्य तरीकों पर डार्क पैटर्न के प्रसार को लेकर बेहद चिंतित है. ग्राहकों को उनकी व्यक्त सहमति के बिना अनपेक्षित परिणामों के लिए मजबूर या निर्देशित नहीं किया जाना चाहिए.

डार्क पैटर्न नहीं रुका तो ASCI लेगा एक्शन

DoCA सचिव ने कहा, 'जब उपभोक्ताओं के नुकसान पहुंचाने के लिए हेरफेर किया जाता है, तो वे चिंता का कारण बन जाते हैं. इसलिए उपभोक्ताओं के हित में एक व्यापक फ्रेमवर्क तैयार करने की जरूरत है और कंपनियां इसे हमारी मदद से तैयार करे. कंपनियां 'डार्क पैटर्न' की पहचान करें और उन्हें रोकने में सरकार की मदद करें.'

ASCI के अनुसार, ई-कॉमर्स कंपनियों में डार्क पैटर्न के ज्यादातर मामले हैं, क्योंकि इसमें 'पैसा' सीधे तौर पर शामिल है. इन कंपनियों को साफ तौर से कहा गया है कि अगर वे विज्ञापनों के डार्क पैटर्न को नहीं पहचानती हैं, एक्शन नहीं लेती हैं और इसका समाधान नहीं करती हैं तो ASCI कानूनी कार्रवाई कर सकता है.

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