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Chandrayaan 3 Mission: चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना भारत, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग

अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बना भारत, दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार पहुंचा कोई देश
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी06:58 PM IST, 23 Aug 2023NDTV Profit हिंदी
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Chandrayaan 3 Live Update In Hindi: चंद्रयान-3 के लैंडर 'विक्रम' की सफलता के साथ चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडिंग कर भारत ने इतिहास रच दिया है. अमेरिका, रूस और चीन के बाद ये कारनामा करने वाला भारत चौथा देश बन गया है. वहीं चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला भारत पहला देश है.

PM ने इसे पूरी मानवता की सफलता बताते हुए कहा, 'ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है. ये क्षण भारतीयों के उदयमान होने और अमृतकाल में सफलता की प्रथम वर्षा हुई है. हम भारत की नई उड़ान के साक्षी बने हैं. मैं देश के सभी वैज्ञानिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं.'

PM ने आगे कहा, 'जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए ISRO, आदित्य L1 मिशन लॉन्च करने जा रहा है. इसके बाद शुक्र भी ISRO के लक्ष्यों में से एक है. साइंस और टेक्नोलॉजी, देश के उज्ज्वल भविष्य का आधार है.'

क्या बोले ISRO चेयरमैन

मैं आप सभी का शुक्रिया करना चाहता हूं और देश और देश के बाहर सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं. ये हमारा काम नहीं है, ये पूरी जेनेरेशन का काम है. ये एक इंक्रिमेंटल प्रोग्रेस है, जो आप सभी ने मिलकर की है.
एस सोमनाथ, इसरो चेयरमैन

टिकी थीं दुनिया की नजरें

चंद्रयान-3 के पूरे मिशन पर केवल देश ही नहीं, दुनिया की नजरें टिकी हुई थीं. प्रज्ञान रोवर के साथ विक्रम लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग की है.

चांद के साउथ पोल के ज्‍यादातर हिस्‍से पूरी तरह अंधेरे में रहते हैं. सूरज की रोशनी के अभाव में इक्विपमेंट को ऑपरेट करना मुश्किल होता है. यहां तापमान शून्य से 230 डिग्री नीचे रहता है. अब तक किसी भी देश ने दक्षिणी ध्रुव पर लैडिंग नहीं की थी.

ऐसे हुई लैंडिंग

चांद की सतह से करीब 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर, केवल दो इंजन का उपयोग किया गया. अन्य दो इंजन को बंद कर दिया गए, इसका उद्देश्‍य लैंडर को रिवर्स थ्रस्ट देना था.

करीब 150-100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर ने अपने सेंसर और कैमरों का उपयोग करके सतह को स्कैन किया. फिर लैंडर ने सॉफ्ट-लैंडिंग के लिए नीचे उतरना शुरू किया.

चंद्रयान-3 का अब तक का सफर

  • 14 जुलाई: चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग, धरती की 170 km x 36,500 km की ऑर्बिट में छोड़ा गया.

  • 15 जुलाई: पहली बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,762 km x 173 km की गई.

  • 17 जुलाई: दूसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 41,603 km x 226 km की गई.

  • 18 जुलाई: तीसरी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 51,400 km x 228 km की गई.

  • 20 जुलाई: चौथी बार ऑर्बिट बढ़ाकर 71,351 x 233 Km की गई.

  • 25 जुलाई: 5वीं बार ऑर्बिट बढ़ाकर 1,27,603 km x 236 km की गई.

  • 31 जुलाई-1 अगस्त: आधी रात चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर बढ़ गया.

  • 5 अगस्त: चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की 164 Km x 18074 Km की कक्षा में प्रवेश किया.

  • 6 अगस्त: चंद्रयान की ऑर्बिट पहली बार घटाकर 170 Km x 4313 Km की गई.

  • 9 अगस्त: चंद्रयान की ऑर्बिट दूसरी बार घटाकर 174 km x 1437 km की गई.

  • 14 अगस्त: चंद्रयान की तीसरी बार ऑर्बिट घटाकर 150 Km x 177 Km की गई.

  • 16 अगस्त: चंद्रयान 153 Km X 163 Km की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया.

  • 17 अगस्त: चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया.

  • 18 अगस्त: विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रोसेस से 113 x 157 Km की कक्षा में आ गया.

  • 20 अगस्त: विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रोसेस से 25 x 134 Km की कक्षा में आ गया.

  • 23 अगस्‍त: चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग

लैंडिंग के बाद क्‍या होगा?

विक्रम लैंडर की लैंडिंग के करीब चार घंटे बाद लैंडर विक्रम के पेट से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा. दोनों मिलकर चांद के साउथ पोल का हाल बताएंगे.

चंद्रयान-3 के लैंडर (विक्रम) और रोवर पेलोड (प्रज्ञान) चंद्रयान-2 मिशन की तरह ही हैं. पेलोड का उद्देश्य चंद्रमा के पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करना है. पेलोड में चंद्रमा पर आने वाले भूकंपों का अध्ययन, चांद की सतह के तापीय गुण, सतह के पास प्लाज्‍मा में बदलाव के अलावा धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी को सटीक रूप से मापना शामिल है.

इस बार चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल में एक नया प्रयोग किया गया, जिसे स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE) कहा जाता है. SHAPE का उद्देश्‍य परावर्तित प्रकाश का विश्लेषण कर संभावित रहने योग्य छोटे ग्रहों की खोज करना है.

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