दिल्ली-NCR में बढ़ते एयर पॉल्यूशन पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब समेत 4 राज्यों को पराली जलाने पर रोक लगाने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी.
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा, 'पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारें पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाए. साथ ही खुले में ठोस कचरा जलाना भी बंद होना चाहिए.'
प्रदूषण को लेकर कोई दिशानिर्देश ही नहीं है. हर कोई इस मामले में एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर बचना चाहता है. लेकिन हर मामले में राजनीति नहीं हो सकती. प्रदूषण को रोकना ही होगा, हम लोगों को मरते हुए नहीं देख सकते.सुप्रीम कोर्ट (वायु प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान)
सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकारें सख्त कदम उठाएं, वरना हमने अपना बुलडोजर शुरू किया तो फिर हम रुकेंगे नहीं. जस्टिस कौल ने कहा, 'अगर मैं बुलडोजर चलाऊंगा तो अगले 15 दिनों तक नहीं रुकूंगा.'
उन्होंने कहा, 'हम चाहते हैं कि दिवाली की छुट्टियों से पहले सभी पक्ष मिलकर एक बैठक करें. हम इस समस्या का तत्काल समाधान चाहते हैं.'
सुनवाई कर रही बेंच ने पराली जलाने पर रोक के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक की निगरानी में संबंधित राज्यों के गृह विभाग के अधिकारी को जिम्मेदार बनाया. कोर्ट ने कहा कि कहीं पराली जलाई गई तो स्थानीय स्तर पर संबंधित थाने के SHO जिम्मेदार होंगे.
पीठ ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच कल (8 नवंबर, बुधवार) को एक बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि पराली जलाना तुरंत बंद हो.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि उन्होंने खुद देखा है, पंजाब में सड़क के दोनों तरफ पराली जलाई जा रही है. फटकार लगाते हुए कहा, पंजाब और दिल्ली में एक ही पार्टी की सरकार है, तुरंत सुधार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए राज्यों के द्वारा राजनीति नहीं होनी चाहिए.
पंजाब सरकार के वकील ने कहा था कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 40% कमी आई है. हम कदम उठा रहे हैं. इसके बाद जस्टिस कौल ने कहा कि प्रदूषण पर राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट ने ऑड-ईवन को लेकर भी सख्त टिप्पणी की. जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा - आप पहले भी ऑड-ईवन सिस्टम ला चुके हैं, क्या ये सफल हुआ है, या फिर ये सब सिर्फ दिखाने के लिए है.
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को ये सुनिश्चित करने को कहा कि केवल दिल्ली में रजिस्टर्ड टैक्सियां ही चले, क्योंकि अन्य राज्यों से केवल एक यात्री को ले जाने वाली टैक्सियां बड़ी संख्या में में चल रही हैं.