दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली अपील पर फैसला सुरक्षित कर लिया है. केजरीवाल को 21 मार्च को ED ने गिरफ्तार किया था. 1 अप्रैल को निचले कोर्ट ने उन्हें दो हफ्ते के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया है.
इस बीच बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर तीखे वार किए.
अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 'केजरीवाल की गिरफ्तारी का वक्त ही ED की मंशा पर सवाल उठाने के लिए काफी है. ED के पास कोई सबूत नहीं है और जब ED की टीम मुख्यमंत्री के अवास पर पहुंची, तब भी एजेंसी ने पहले उनका स्टेटमेंट लेने की कोशिश नहीं की. मतलब बिना बयान दर्ज किए सीधे गिरफ्तारी हो गई.'
सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी का एकमात्र उद्देश्य उन्हें अपमानित करना है और चुनाव के पहले अक्षम बनाना है. क्या केजरीवाल ने बीते डेढ़ साल में किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की. क्या उन्होंने पूछताछ से इनकार किया है, जबकि केजरीवाल ने ED के समन का विस्तार से जवाब दिया है. ये कहना भी गलत है कि उन्होंने समन का पालन नहीं किया.
ED ने केजरीवाल की जमानत याचिका का विरोध किया है. ED की तरफ एडीशनल सॉलिसटर जनरल राजू ने चुनाव में अक्षम बनाने के लिए केजरीवाल की गिरफ्तारी के तर्क पर कहा, 'अगर कोई राजनीतिक व्यक्ति चुनाव के पहले मर्डर करता है, तो क्या उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा?' ED ने कहा कि केजरीवाल की पूरे स्कैम में केंद्रीय भूमिका है, इससे जुड़ी मनी ट्रेल भी मौजूद है.
ED ने केजरीवाल के इस तर्क का भी जवाब दिया कि उनकी और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी एप्रूवर बने आरोपियों के जवाब के आधार पर हुई है. जबकि शुरुआती स्टेटमेंट्स में किसी भी पार्टी लीडर का नाम शामिल नहीं था.
इसके जवाब में ED ने कहा कि जब आरोपियों के सामने सबूत पेश किया जाता है, तो वे अपना बयान बदल सकते हैं. जब उन्हें ठोस सबूत दिए जाते हैं, तो वे कहते हैं कि मैं गलत था.