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भारत ने मनी लॉन्ड्रिंग पर उठाए प्रभावी कदम; जम्मू-कश्मीर में सक्रिय ISIL और अल कायदा से जुड़े आतंकी समूहों से देश को खतरा: FATF

FATF ने ये बातें भारत से जुड़ी 'म्यूचुअल इवैल्युएशन रिपोर्ट' में कही हैं. ये रिपोर्ट टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी लॉन्ड्रिंग रिजीम से जुड़ी है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी04:58 PM IST, 19 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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FATF (Financial Action Task Force) ने जम्मू-कश्मीर और इसके आसपास ISIL और अल कायदा से जुड़े सक्रिय आंतकी संगठनों से भारत को खतरा बताया है.

FATF ने ये बातें भारत से जुड़ी 'म्यूचुअल इवैल्युएशन रिपोर्ट' में कही हैं. ये रिपोर्ट टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी लॉन्ड्रिंग रिजीम से जुड़ी है.

भारत द्वारा टेरर फाइनेंसिंग और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग पर उठाए गए कदमों को FATF ने प्रभावी माना है.

हालांकि संस्था ने फिलहाल कुछ चीजों में और सुधार की जरूरत बताई है. FATF के मुताबिक टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी-लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों में सजा दिलाने की व्यवस्था में भारत को अभी और सुधार करने की जरूरत है.

मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इंटरनल सोर्स जिम्मेदार

वहीं मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल होने वाले पैसे का मुख्य सोर्स भी आंतरिक है. FATF का कहना है कि देश में जारी गैरकानूनी गतिविधियां मनी लॉन्ड्रिंग का मुख्य कारण हैं.

इस बीच नॉन प्रॉफिट सेक्टर को भी आंतकी गतिविधियों से बचाने की जरूरत है, ताकि टेरर फाइनेंसिंग के लिए इस सेक्टर के ऑर्गेनाइजेशंस का फायदा ना उठाया जा सके.

भारत में अथॉरिटीज को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खतरों के बारे में अच्छी समझ है. ह्यूमन ट्रैफिकिंग और माइग्रेंट स्मगलिंग से उपजने वाले मनी लॉन्ड्रिंग के खतरों के बारे में समझ को आगे और डेवलप करने की जरूरत है.

रिपोर्ट आगे कहती है, 'कानूनी एजेंसियां नियमित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी फाइनेंशियल इंटेलीजेंस और दूसरी अहम जानकारी का उपयोग करते हैं. इसके जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग की संभावित वारदारों का अनुमान लगाया जाता है. एजेंसियां बड़ी संख्या में जांच की शुरुआत में ही आरोपियों की संपत्ति/खाते अटैच कर देती हैं, इससे कई मामलों में अपराधी पैसा लेकर भागने में कामयाब नहीं हो पाते.'

रिपोर्ट के मुताबिक, 'संवैधानिक चुनौतियों (2022 में इनका समाधान कर लिया गया) के चलते मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में सजा होने की प्रक्रिया कई बार प्रभावित हुई है. कई मामले लंबित पड़े होते हैं और कोर्ट में क्षमता से ज्यादा केस हो जाते हैं. हालांकि अब सजा के मामले बढ़ रहे हैं, साथ ही पेंडिंग मामलों में भी कमी आ रही है.'

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