केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक सरकार खाने की जरूरी चीजों जैसे टमाटर, प्याज और दाल की कीमतों की निगरानी कर रही है और घरेलू उपलब्धता को बढ़ाने और कीमतों को स्थिर करने के लिए कदम उठा रही है. सीतारमण ने मॉनसून सत्र के दौरान लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि सरकार देश भर में 536 प्राइस मॉनिटरिंग सेंटर्स के जरिए खाने-पीने की 22 जरूरी चीजों की रिटेल और होलसेल कीमतों की निगरानी कर रही है.
वित्त मंत्री के मुताबिक, इन कदमों में शामिल हैं:
बफर स्टॉक से प्याज और दाल के स्टॉक को समय पर जारी करना.
व्यापारियों, होलसेलर और रिटेलर पर स्टॉक लिमिट लगाना.
जमाखोरी रोकने के लिए संस्थाओं द्वारा घोषित स्टॉक की निगरानी.
इंपोर्ट ड्यूटी का तार्किक निर्धारण.
चुनिंदा कमोडिटीज के निर्यात पर प्रतिबंध और इंपोर्ट कोटा में बदलाव.
सीतारमण ने कहा कि सरकार के निर्देशों के मुताबिक, नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन और नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने बड़ी खपत वाले केंद्रों में लगातार उपलब्धता के लिए टमाटरों की खरीदारी की है.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी को फसल सीजन, कर्नाटक के कोलार जिले में व्हाइट फ्लाई बीमारी, उत्तर भारत में मॉनसून के तुरंत आ जाने और भारी बारिश की वजह से लॉजिस्टिक्स में रुकावटों से जोड़कर देखा जा रहा है. कर्नाटक, देश में सबसे ज्यादा टमाटर उत्पादन वाले राज्यों में से एक है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अरहर दाल की कीमतें कम उत्पादन की वजह से, ज्यादा आयात के बावजूद बढ़ी हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने अलग-अलग दालों के लिए आयात नीति पर भी विचार किया है. इसके साथ सरकार ने तूर और उड़द पर स्टॉक पर सीमा लगाई है और बफर स्टॉक से तूर को रणनीतिक तरीके से लागू किया है.
उन्होंने कहा कि होलसेल प्राइस इंडेक्स के मुताबिक, मुख्य एग्रीकल्चर इनपुट जैसे फर्टिलाइजर, इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड में पिछले साल से धीरे-धीरे गिरावट देखी गई है और मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान ये कम रहा है.
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि बफर स्टॉक के नियमों में उभरती मांग की वजह से बदलाव किया गया था. उन्होंने आगे कहा कि प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव रोकने और कीमतों को स्थिर करने के लिए सरकार ने प्राइस स्टेबिलाइजेशन फंड के तहत बफर रखा है.
दालों के मामले में, सरकार होलसेल मार्केट से खरीदारी और प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत खरीदे गए स्टॉक्स को ट्रांसफर करके बफर स्टॉक बनाकर रखती है. सब्सिडी वाली दर पर 'भारत दाल' ब्रैंड के तहत रिटेल ऑपरेटर्स को भी अतिरिक्त स्टॉक बेचा जाता है.