केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि लगातार आर्थिक विकास के लिए महंगाई से निपटना पहली प्राथमिकता है. उन्होंने ये बात नई दिल्ली में चल रहे B20 समिट के एक सत्र में कही. उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक रिकवरी के लिए ज्यादा कैपिटल खर्च, स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश, क्लाइमेट फाइनेंस की फंडिंग और ग्लोबल सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करना प्राथमिकताओं में शामिल है.
सीतारमण ने कहा कि लंबे समय के लिए बढ़ी हुई ब्याज दरें इकोनॉमिक रिकवरी के रास्ते में आ सकती हैं. उन्होंने कहा कि महंगाई से निपटने के लिए सिर्फ ब्याज दरों को इस्तेमाल करने का जुनून और सप्लाई के मोर्चे पर वजहों को मैनेज न करने से महंगाई का पूरा समाधान नहीं मिल पाएगा.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि निवेश, लगातार ग्रोथ को हासिल करने के लिए छोटा रास्ता है. उन्होंने इसको लेकर सार्वजनिक क्षेत्र से आगे बढ़कर हिस्सा लेने की अपील की, जब तक निजी क्षेत्र दखल नहीं देता है. उन्होंने कहा कि निजी खर्च के अच्छे नतीजे दिख भी रहे हैं.
निर्मला सीतारमण ने ये भी कहा कि पहली तिमाही में GDP के आंकड़े बेहतर रहने की उम्मीद है. उन्होंने आगे कहा कि वो लेबर फोर्स की भागीदारी की दरों को लेकर चिंतित थीं. इसमें मदद के लिए नीतियां बनानी होंगी और सिर्फ कुछ देशों के पास ही सार्वजनिक व्यय को बढ़ाने के लिए गुंजाइश है.
इसके अलावा वित्त मंत्री ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश पर फोकस करने की जरूरत को भी उजागर किया. उन्होंने कहा कि ये केवल भारत में ही नहीं है क्योंकि ये उभरती हुई दुनिया का हिस्सा है. हेल्थ सिस्टम, विकसित देशों में भी ढह रहे हैं. जब तक उनमें पैसा नहीं डाला जाता है, तब तक हमें स्वास्थ्य संकट को देखना पड़ेगा. विकसित देशों और विकासशील देशों में अंतर करना सही नहीं है.