वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को राहुल गांधी के सरकारी बैंकों पर दिए बयान पर जमकर पलटवार किया है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट X पर UPA के 10 साल के दौरान बैंकों में सरकारी दखल और खराब प्रबंधन की तुलना बैंकों के मौजूदा प्रोफेशनल मैनेजमेंट से की और बताया कि कैसे बैंकों की सेहत सुधारी गई है.
उन्होंने लिखा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की बेबुनियाद बयान देने की आदत ने एक बार फिर उन्हें बेनकाब कर दिया है. भारत के बैंकिंग क्षेत्र, खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बड़ा बदलाव देखा है.
क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें नहीं बताया कि हमारी सरकार ने 2015 में UPA सरकार की 'फोन बैंकिंग' प्रथाओं का खुलासा करते हुए बैंकों के एसेट क्वालिटी की समीक्षा शुरू की थी. मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र में '4R' रणनीति और दूसरे कई सुधारों की शुरुआत की. क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें ये नहीं बताया कि पिछले 10 सालों में सरकारी बैंकों को री-कैपिटलाइजेशन के जरिए 3.26 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे.निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री ने लिखा, 'PSBs में जनता की भी हिस्सेदारी है और डिविडेंड निवेशकों के लिए भी आय का जरिया भी है. सिर्फ भारत सरकार के लिए नहीं. क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें नहीं बताया कि इन PSBs ने UPA कार्यकाल में भी 56,534 करोड़ रुपये का डिविडेंड दिया था.'
वित्तमंत्री ने लिखा, 'इन्क्लूसिव ग्रोथ और नागरिकों को केंद्र में रखकर शासन करना मोदी सरकार का मूल सिद्धांत है. ऐसे में क्या नेता प्रतिपक्ष से मिलने वाले लोगों ने उन्हें ये नहीं बताया कि फाइनेंशियल इन्क्लूजन की योजनाओं (PM मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, PM स्वनिधि, PM विश्वकर्मा) के तहत 54 करोड़ जन धन खाते खोले गए और 52 करोड़ से अधिक कोलेटरल फ्री लोन दिए गए हैं. क्या विपक्ष के नेता से मिलने वाले लोगों ने उन्हें ये नहीं बताया कि PM मुद्रा योजना के तहत 68% लाभार्थी महिलाएं हैं और PM स्वनिधि योजना के तहत 44% लाभार्थी महिलाएं हैं. ये मोदी सरकार की 'अंत्योदय' फिलॉसफी का उदाहरण है.'