प्रस्तावित जवाबी ड्यूटी लगाने को लेकर अमेरिका के साथ भारत बातचीत करने को तैयार है. सूत्रों के हवाले से ये खबर मिली है. ज्यादातर देश जिन्होंने अमेरिका की ओर से लगाई गई ऊंची ड्यूटीज का सामना किया है, अब वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन WTO का रुख कर चुके हैं.
सूत्रों ने आगे बताया कि भारत ने केवल ये कहा है कि वो जवाबी कार्रवाई का अधिकार रखता है, और उसने सीधे तौर पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है. इन्होंने बताया 'हम अमेरिका के साथ बातचीत के करने के लिए तैयार हैं और इसमें व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएंगे.'
भारत अमेरिका के कई उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाना चाहता है, जिसका लक्ष्य टैरिफ के रूप में अनुमानित 1.9 बिलियन डॉलर की वसूली करना है - जो कि भारतीय स्टील और एल्युमीनियम एक्सपोर्ट पर अमेरिकी सेक्शन 232 के टैरिफों का अनुमानित असर है.
सूत्रों ने बताया कि अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते की पहले चरण के लिए बातचीत सितंबर-अक्टूबर की समय सीमा से पहले खत्म होने वाली है. उन्होंने कहा 'देखते हैं कि ये कितनी जल्दी हो पाता है'.
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने गुरुवार को भी कहा कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है. उन्होंने बताया 'वाणिज्य मंत्री (पीयूष गोयल) और मुख्य वार्ताकार (राजेश अग्रवाल) इस हफ्ते अमेरिका में बातचीत के लिए जाने वाले हैं'.
इस यात्रा के दौरान, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की मुलाकात अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर और अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के साथ संभावित व्यापार समझौते को लेकर होगी.
गोयल की ये यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चीन ने अमेरिका के साथ बातचीत में शामिल होने पर सहमति जताई है, और दोनों ने एक-दूसरे पर लगाए गए टैरिफ में 115 परसेंटेज प्वाइंट्स की कटौती की है. अगर अमेरिका-चीन व्यापार समझौता संपन्न होता है, तो ये भारत की वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग सुपरपावर के रूप में स्थिति के लिए चुनौती पैदा कर सकता है.