आम तौर पर लोगों की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा कहां खर्च होता है? जाहिर तौर पर इस सवाल का जवाब होगा- खान-पान और रोजाना की खुदरा जरूरतों पर.
और अगर हम पूछे कि इसके बाद सबसे ज्यादा खर्च कहां होता है, तो शायद आपका ध्यान बिजली, पानी, स्कूल फीस जैसी यूटिलिटी से जुड़े खर्चों की ओर जा सकता है. लेकिन यहां आप गलत साबित होंंगे.
एक सर्वे में ये दावा किया गया है कि ग्रॉसरी और रिटेल शॉपिंग के बाद लोग सबसे ज्यादा खर्च घूमने-फिरने पर खर्च कर रहे हैं.
कोलिन्सन इंटरनेशनल की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, रोजमर्रा की जरूरतों के बाद सबसे ज्यादा खर्च लोग ट्रैवल पर कर रहे हैं. भारत, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया समेत एशिया पैसिफिक रीजन के 14 देशों का यही हाल है.
14 देशों में क्रेडिट-डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करेन वाले करीब 7,250 लोगों पर किए गए सर्वे के बाद हाल ही में कोलिन्सन ने 'ट्रैवल बेनिफिट्स एंड कस्टमर एंगेजमेंट 2024' नाम से ये रिपोर्ट जारी की है.
इसके मुताबिक 'ट्रैवल' सबसे अधिक खर्च वाली कैटगरीज में से एक है, जिस पर लोग एनुअल खर्च का एक तिहाई हिस्सा खर्च कर रहे हैं. ये रोजमर्रा के खर्च कैटगरी (ग्रॉसरी और खुदरा खरीदारी) के काफी करीब है.
इस सर्वे से पता चलता है कि दक्षिण पूर्व एशिया 'ट्रैवल पावर' के रूप में उभर रहा है. 10,619 डॉलर के औसतन खर्च के साथ सिंगापुर ट्रैवल पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले देशों में टॉप पर है, जो चीन ($5,014) और जापान ($4,529) जैसे बाजारों की तुलना में लगभग दोगुना है.
इस लिस्ट में हॉन्गकॉन्ग($7,336) दूसरे नंबर पर, जबकि ऑस्ट्रेलिया($7,288) तीसरे नंबर पर शामिल हैं. मलेशिया, थाईलैंड और ताइवान जैसे देश भी इस मामले में चीन, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपींस जैसे देशों से आगे हैं.
सर्वे के मुताबिक, ट्रैवल पर हर साल भारतीय औसतन 3,175 अमेरिकी डॉलर यानी करीब 2.66 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं, जबकि रोजमर्रा की जरूरतों पर भारतीयों का खर्च 3,671 डॉलर यानी करीब 3.08 लाख रुपये है. दोनों खर्चों में बहुत ज्यादा का अंतर नहीं हैं. भारतीय कुल सालाना खर्च का एक तिहाई से भी ज्यादा, ट्रैवल पर खर्च कर रहे हैं.
सर्वे के मुताबिक, देश में 1980 से 1996 के बीच जन्मे लोग, जिन्हें मिलेनियल्स कहा जाता है, वे ट्रैवल पर सालाना सबसे ज्यादा 5.06 लाख रुपये खर्च कर रहे हैं. वहीं ट्रैवल पर Gen-X (1965-1980 में जन्मे भारतीयों) का सालाना बजट 2.57 लाख रुपये और बूमर्स यानी 1946 से 1964 के बीच जन्मे लोगों का बजट 2.18 लाख रुपये है. 1997 से 2012 के बीच जन्मे युवाओं की बात करें तो ट्रैवल पर उनका सालाना बजट 2.20 लाख रुपये के करीब है.
एशिया पैसिफिक देशों में कंज्यूमर्स न केवल ज्यादा ट्रैवल करना चाहते हैं, बल्कि फास्ट सिक्योरिटी चेक, किफायती लाउंज एक्सेस जैसे बेहतर एक्सपीरिएंस और सुविधाएं चाहते हैं. बता दें कि 16 से 25 अप्रैल के बीच 14 देशों के 7,250 लोगों पर ये सर्वे किया गया था.