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New CJI: जस्टिस बी आर गवई बने देश के 52वें CJI, देश के पहले बौद्ध चीफ जस्टिस भी हैं

जस्टिस गवई दलित समुदाय से देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं.
NDTV Profit हिंदीमोहम्मद हामिद
NDTV Profit हिंदी10:27 AM IST, 14 May 2025NDTV Profit हिंदी
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जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बी आर गवई) ने आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस बी आर गवई को पद की शपथ दिलाई. उन्होंने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की जगह ली है जो 65 वर्ष की आयु होने पर मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए हैं.

दलित समुदाय के दूसरे CJI

जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध CJI भी हैं, वो दलित समुदाय से देश के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले दूसरे व्यक्ति हैं. साल 2007 में पूर्व CJI केजी बालाकृष्णन पहले दलित CJI बने थे. वो 3 साल तक सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे थे.

राष्ट्रपति भवन में शपथ समारोह के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और दूसरे कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे.

जस्टिस गवई को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था।. उनका कार्यकाल छह महीने से ज्यादा समय का होगा और वो 23 नवंबर तक पद पर रहेंगे.

जस्टिस गवई को जानिए

CJI गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. उन्होंने 16 मार्च 1985 को बॉम्बे हाई कोर्ट से अपनी वकालत की प्रैक्टिस शुरू की. जस्टिस गवई ने राजा एस भोसले (पूर्व महाधिवक्ता एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) के साथ 1987 तक काम किया. इसके बाद 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस की. जस्टिस गवई ने 1990 के बाद मुख्य रूप से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की.

वे 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश और 2005 में स्थायी न्यायाधीश बने. उन्हें 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. चीफ जस्टिस गवई के पिता आरएस गवई एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने तीन राज्यों के राज्यपाल और संसद के दोनों सदनों के सदस्य के रूप में काम किया है. आरएस गवई ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की स्थापना की. वो साल 2006 से 2011 के बीच बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रहे हैं.

  • 17 जनवरी 2000 से सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त हुए

  • 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे HC के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए

  • 12 नवंबर 2005 को जस्टिस बी आर गवई हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए.

  • 24 मई 2019 को जस्टिस बी आर गवई को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया

कई बड़े फैसलों में शामिल रहे जस्टिस गवई

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में वो कई अहम और निर्णायक फैसलों में शामिल रहे. जिसमें केंद्र सरकार के 2016 के मॉनेटाइजेशन के फैसले को बरकरार रखने वाला फैसला और चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाला निर्णय शामिल है.

इसके अलावा वो पांच जजों की पीठ के सदस्य रहे जिसने केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा. केंद्र ने आर्टिकल 370 को निरस्त किया था जिसके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.

नवंबर 2024 में जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ ने आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर के इस्तेमाल की आलोचना की और सख्त फैसला सुनाया. जिसके मुताबिक उचित प्रकिया का पालन किए बिना किसी की भी संपत्तियों को गिराना कानून के खिलाफ माना जाएगा.

उन्होंने लगभग 300 फैसले लिखे हैं, जिनमें से कई मौलिक अधिकारों से संबंधित संविधान पीठ के फैसले हैं.

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