सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए देश में नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है. कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम एक और रेप का इंतजार नहीं कर सकते.
कोलकाता में युवा डॉक्टर के साथ हुए दुराचार और हत्या के मामले ने पूरे देश को झकझोर दिया है. इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार से सुनवाई शुरू की. चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा, 'ये सिर्फ कोलकाता में हत्या का मामला नहीं, ये मुद्दा देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा का है.'
CBI मामले की जांच कर गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट सौंपे
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक नेशनल टास्क फोर्स का गठन
पीड़िता की पहचान सोशल मीडिया पर कैसे उजागर हुई
सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से हड़ताल वापस लेने को कहा
RK सरियन, सर्जन वाइस एडमिरल
डॉ एम श्रीनिवास, निदेशक, AIIMS, दिल्ली
डॉ नागेश्वर रेड्डी, MD, एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल गैस्ट्रोलॉजी
डॉ प्रतिमा मूर्ति, NIMHANS, बेंगलुरू
डॉ गोवर्धन दत्त पुरी, निदेशक, AIIMS, जोधपुर
डॉ सौमित्र रावत, गंगाराम अस्पताल के मैनेजिंग मेंबर
प्रो अनीता सक्सेना, कार्डियोलॉजी हेड, AIIMS, दिल्ली
प्रो पल्लवी सापरे, डीन- ग्रांट मेडिकल कॉलेज, मुंबई
डॉ पदमा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट, AIIMS
केंद्र सरकार के कैबिनेट सचिव
केंद्र सरकार के गृह सचिव
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव
नेशनल मेडिकल कमीशन के प्रेसिडेंट
नेशनल बोर्ड ऑफ इग्जामिनर्स के प्रेसिडेंट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों के पास आराम करने के लिए जगह नहीं है. उनके लिए बुनियादी हाइजीन का ख्याल नहीं रखा जाता है. सुरक्षा की कमी तो है ही. अनियंत्रित मरीजों को संभालने के लिए उन्हें छोड़ दिया जाता है.
आपातकालीन कक्ष के क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत हो सकती है!
हथियारों को प्रवेश करने से रोकने के लिए बैगेज स्क्रीनिंग की जरूरत है.
यदि कोई व्यक्ति मरीज नहीं है तो उसे एक सीमा से अधिक की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिएचाहिए.
डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष और साथ ही डॉक्टर्स और नर्सों के आराम करने के लिए जेंडर बेस्ड जगह होनी चाहिए.
सभी क्षेत्रों में उचित प्रकाश व्यवस्था, CCTV, बायोमेट्रिक्स और चेहरे की पहचान होनी चाहिए.
मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ट्रांसपोर्ट सुविधा.
आपात स्थितियों से निपटने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन.
आने वाले लोगों और संख्या के हिसाब से पुलिस बल की स्थापना.
POSH अधिनियम चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, इसलिए ICC का गठन जरूरी.
चिकित्सा व्यवसाय की आपातकालीन स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर.
संस्थागत सुरक्षा उपायों का तिमाही ऑडिट.
पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, 'हमने इस मामले में 50 FIR दर्ज की हैं. पुलिस के पहुंचने से पहले ही सभी फोटो और वीडियो ले लिए गए थे. इस पर CJI ने कहा, 'ये भयानक है, क्या हम इस तरह से सम्मान देते हैं?' उन्होंने कहा, 'हर जगह पीड़िता की पहचान उजागर हुई, जबकि ऐसा नही होना चाहिए था.'
चीफ जस्टिस ने FIR में देरी को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई? कहा, FIR देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था? जब हत्या हुई थी तो पीड़िता के माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे. ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी कि वो FIR दर्ज कराए.
इधर, कोलकाता पुलिस ने RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है. राज्य पुलिस, सरकारी अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है, ये मामला जून में एक शिकायत दर्ज होने के बाद से जांच के दायरे में है.