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Kolkata Rape-Murder Case में सुप्रीम सुनवाई, डॉक्‍टर्स को काम पर लौटने का निर्देश; CBI की स्‍टेटस रिपोर्ट पर CJI ने किए सवाल

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्‍वत: संज्ञान लिया है. सोमवार को पहली सुनवाई थी और आज गुरुवार को केस की दूसरी सुनवाई हो रही है.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी12:34 PM IST, 22 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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कोलकाता रेप और मर्डर केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्‍टर्स से हड़ताल खत्‍म कर काम पर लौटने को कहा है. डॉक्‍टर्स काम पर लौट जाएंगे तो उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होगी, लेकिन नहीं लौटे तो उन्‍हें एब्‍सेंट यानी गैर-हाजिर या अनुपस्थित माना जाएगा.

चीफ जस्टिस DY चंद्रचूड़, जस्टिस JB पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने एम्‍स रेजिडेंट डॉक्‍टर्स की अर्जी पर सुनवाई के दौरान कहा कि अगर डॉक्टर्स काम पर नहीं गए तो वे अनुपस्थित माने जाएंगे और फिर नियम-कानून के तहत काम होगा.

बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्‍वत: संज्ञान लिया है. सोमवार को पहली सुनवाई थी और आज गुरुवार को केस की दूसरी सुनवाई हो रही है.

डॉक्‍टर काम पर नहीं लौटे तो...

चीफ जस्टिस ने कहा कि डॉक्टरों का काम पर लौटना जरूरी है. अस्पतालों के हेड भी डॉक्टर्स हैं. वो उनकी समस्याओं और मुद्दों पर साथ हैं. लेकिन अगर डॉक्टर काम पर वापस नहीं लौटे तो सरकारी स्वास्थ्य सर्विस सिस्‍टम चरमरा जाएगा.

AIIMS रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि विरोध के कारण उन्‍हें अब हमलों का सामना करना पड़ रहा है. परीक्षा में शामिल होने तक की अनुमति नहीं दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्‍टर्स के न होने से मरीज परेशान हो रहे हैं. रेजिडेंट डॉक्टर युवा हैं, उनको समझना चाहिए.

चीफ जस्टिस बोले, 'डॉक्‍टर्स से पहले काम पर लौटने को कहें. एक बार डॉक्टर कम पर लौटेंगे तो हम अथॉरिटी से कहेंगे कि कार्रवाई न करें. अगर इसके बाद भी कठिनाई होती है, तो हमारे पास आएं, लेकिन पहले उन्हें काम लौटना होगा.'

मैं खुद अस्‍पताल में फर्श पर सोया हूं: CJI

डॉक्‍टर्स की ड्यूटी में काम के घंटों को लेकर चर्चा के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, 'हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं.' उन्‍होंने अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा, 'मैं खुद एक सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार के एक सदस्य बीमार थे.'

कोलकाता के डॉक्टर्स की ओर से पेश अधिवक्‍ता ने कहा कि अस्पताल में डॉक्टर अभी भी आतंकित महसूस कर रहे हैं. इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा- मुझे नाम बता दीजिए, मैं सुनिश्चित करूंगा कि CISF देखेगी. चीफ जस्टिस ने पूछा कि किसने निशाना बनाया? इस पर अधिवक्‍ता ने प्रशासन के सदस्यों, अस्पताल के लोगों और असामाजिक तत्‍वों का नाम लिया.

दिल्ली मेडिकल संघ ने कहा कि हमने इसी मसले पर दो साल पहले जनहित याचिका दाखिल की थी. इस पर CJI ने कहा, 'टास्क फोर्स इस पर रिपोर्ट तैयार करेगी. वही इस पर गौर करेगी. डॉक्टरों, नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ के प्रतिनिधियों को टास्क फोर्स सुनेगी और उनकी राय लेगी. सभी पक्षों की राय बहुत जरूरी है.'

CBI की स्टेटस रिपोर्ट पर चर्चा

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की पिछली सुनवाई के दौरान CBI को इस केस में अब तक की स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा था. गुरुवार को CBI ने स्‍टेटस रिपोर्ट जमा की. इसे करीब 7 मिनट पढ़ने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच में तीनों जजों ने आपस में चर्चा की. CJI ने स्टेटस रिपोर्ट पढ़ने के बाद आरोपी की इंजरी की मेडिकल रिपोर्ट मांगी, जिस पर कोर्ट को बताया गया कि ये केस डायरी का हिस्सा है.

पुलिस की जांच पर उठे सवाल

जस्टिस पारदीवाला ने जांच के तरीके पर निराशा व्यक्त की. उन्‍होंने कहा, 'पुलिस ने जिस तरह से जांच की...मैंने अपने पिछले 30 साल के करियर में ऐसी प्रक्रिया अपनाते नहीं देखी.

जस्टिस पारदीवाला ने कहा, 'ये बेहद परेशान करने वाली बात है कि पोस्टमार्टम के बाद अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया. पोस्टमार्टम शाम 6:10 से 7:10 बजे के बीच किया गया और अप्राकृतिक मौत का मामला रात 11:30 बजे दर्ज किया गया.'

क्राइम की GD एंट्री सुबह 10:10 पर हुई. फोन पर खबर मिली कि थर्ड फ्लोर पर PG डॉक्टर बेहोशी की हालत में मिली है. पीड़िता का शव देखकर बोर्ड ने मौत का कारण गला घोंटना बताया और ये भी कहा कि सेक्सुअल एसॉल्ट से भी इनकार नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद पोस्टमार्टम शाम 6-7 के बीच हुआ और उसके बाद जांच शुरू की गई.
DY चंद्रचूड़, CJI (सुनवाई के दौरान)

जस्टिस पारदीवाला ने कहा, 'पुलिस ने वो प्रक्रिया नहीं अपनाई, जैसा CRPC में कहा गया है या मैंने अपने 30 सालों के करियर में देखा है. तो क्या ये सच है कि पोस्टमार्टम के बाद अन नेचुरल डेथ रिपोर्ट दी गई. उन्‍होंने कहा, 'सहायक पुलिस अधीक्षक का आचरण भी बहुत संदिग्ध है. उन्होंने ऐसा क्यों किया?'

पुलिस और पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बचाव में कहा, 'ये बात सही नहीं है. केस डायरी में सब कुछ मौजूद है और हाई कोर्ट के आदेश पर केस डायरी CBI को दी जा चुकी है.' हालांकि उनकी दलील से बेंच संतुष्‍ट नहीं हुआ.

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