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8 साल में सबसे कम बारिश! खाद्य महंगाई के खतरे के बीच भारत के लिए इसके क्‍या मायने हैं?

IMD का अनुमान है कि अल नीनो के कारण सितंबर में बारिश बेहद कम हो सकती है.
NDTV Profit हिंदीपल्लवी नाहाटा
NDTV Profit हिंदी12:38 PM IST, 29 Aug 2023NDTV Profit हिंदी
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देश में इस मॉनसून सीजन में सामान्‍य से कम बारिश, कृषि उत्‍पादन और ग्रामीण आय को प्रभावित करने के साथ खाद्य महंगाई भी बढ़ा सकती है. रॉयटर्स ने मौसम विभाग के एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस साल का मॉनसून, पिछले 8 साल में सबसे कम बारिश का मॉनसूनी सीजन हो सकता है.

इस महीने बारिश बेहद कम हुई है और ये महीना सदी में सबसे सूखा अगस्त रहा है. इससे पहले जून में बारिश औसत से 9% कम हुई थी जबकि जुलाई में औसत से 13% ज्यादा बारिश हुई थी.

IMD का अनुमान है कि अल नीनो के कारण सितंबर महीने में बारिश बेहद कम हो सकती है, जिसके चलते ये 2015 के बाद सबसे कम बारिश वाला माॅनसून होगा.

स्काईमेट ने कहा है कि 25 अगस्त से माॅनसून का ब्रेक सितंबर के पहले सप्ताह तक भी बढ़ सकता है. सवाल है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की कमी का क्या मतलब होगा?

बार्कलेज (Barclays) के एक नोट में कहा गया है कि प्रमुख फसलों के लिए 90% से अधिक क्षेत्र के साथ खरीफ की बुआई की अवधि पूरी हो गई है. शेष माॅनसून अवधि में कोई भी और बढ़ोतरी काफी हद तक वृद्धिशील (Incremental) होगी.

कृषि और किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक कुल बुआई क्षेत्र पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 0.35% अधिक (25 अगस्त तक) है, जो कुल 1,053.6 लाख हेक्टेयर को कवर करता है. दलहन में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई है, बुआई क्षेत्र पिछले साल से 8.3% कम है.

आंकड़ों से पता चलता है कि माॅनसून की देरी से शुरुआत और इसके असमान वितरण के बावजूद चावल और अनाज के लिए फसल क्षेत्र पिछले साल की तुलना में अधिक है. वहीं, कपास, तिलहन, जूट और मेस्ता पिछले साल के आंकड़ों से मामूली कम हैं.

IDFC फर्स्‍ट बैंक के एक रिसर्च नोट के अनुसार, इस महीने दक्षिणी प्रायद्वीप में सबसे बड़ी कमी (LPA यानी लॉन्‍ग पीरियड एवरेज से 64% नीचे) दर्ज किया गया. उत्तर पश्चिम में LPA से 42% की कमी और मध्य भारत में 38% की कमी दर्ज की गई.

नोट में कहा गया है कि अगस्त में इतना बड़ी कमी पिछली बार 1920 में (32.5%) दर्ज की गई थी.

IDFC फर्स्ट बैंक की इकोनॉमिस्‍ट गौरा सेन गुप्ता ने कहा, 'बारिश में रुकावट उम्मीद से अधिक लंबी रही है और इससे महंगाई का खतरा बढ़ सकता है.'

खाद्य महंगाई बढ़ने का खतरा?

अगस्त में बारिश में कमी का आंकड़ा वित्त वर्ष 2022, 2016, 2010 और 2006 में 20% से ज्‍यादा था. लेकिन खाद्यान्न उत्पादन पर इसका निगेटिव प्रभाव केवल 2010 और 2016 में देखने को मिला. 'सितंबर में भी कम बारिश' इसकी बड़ी वजह थी.

गौरा सेन गुप्ता कहती हैं, 'इस बार अगस्‍त के बाद सितंबर में बारिश बढ़ती है तो खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है.'

इकोनॉमिस्‍ट गौरा ने टमाटर की कीमतों में तेज गिरावट के साथ सब्जियों की कीमतों में नरमी के बीच अगस्त में CPI महंगाई 7.1% और सितंबर में 5.8% रहने का अनुमान लगाया है.

सेन गुप्ता ने कहा, हालांकि सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी क्षणिक होती है, लेकिन कई फसलों के इस मौसम को देखते हुए, अनाज और दालों में बढ़ोतरी ज्‍यादा समय तक रह सकती है.

उन्होंने कहा, 'अनाज महंगाई (Cereal Inflation), जो वित्त वर्ष 2023 के मध्य से जारी है, चिंता का विषय बनी हुई है. दैनिक खुदरा कीमतें दर्शाती हैं कि अगस्त में महीने-दर-महीने (MoM) वृद्धि सामान्य मौसमी पैटर्न से अधिक बनी हुई है.

हालांकि कुछ आंकड़े पॉजिटिव भी बने हुए हैं. जैसे, चावल की बुआई का रकबा बढ़ रहा है और स्टॉक आवश्यक स्तर से 1.8 गुना ज्‍यादा है. वहीं गेहूं का स्टॉक आवश्यक स्तर से थोड़ा ऊपर है.

दालों की खुदरा कीमतें (जो पिछले कुछ महीनों में बढ़ी हैं) अगस्त में मौसमी पैटर्न की तुलना में अधिक चल रही हैं. गेहूं और दालें दोनों रबी फसलें हैं, जिनके लिए जलाशय का स्तर महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों ही फसलें सिंचाई सुविधाओं पर निर्भर हैं.

सेन गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खाद्य कीमतों में नरमी आने की उम्मीद है. हालांकि, असमान माॅनसून प्रदर्शन एक खतरा बना हुआ है.

एग्री GVA और ग्रामीण आय को खतरा

बेमौसम बारिश का असर अभी से देखने को मिल रहा है. ICRA का अनुमान है कि बेमौसम और असमान बारिश के कारण वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में एग्री GVA (Gross Value Added) करीब 4% बढ़ेगी, जबकि वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में ये 5.5% थी.

ICRA की चीफ इकोनॉमिस्‍ट अदिति नायर ने कहा, 'ये देखना बाकी है कि कम बारिश का पैदावार पर क्या असर पड़ता है.' उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद नहीं है कि इस वित्तीय वर्ष का समापन 'हाई एग्री GVA' के साथ होगा, जब तक कि हमें माॅनसून के बाद महत्वपूर्ण बारिश नहीं मिलती.'

अदिति नायर ने पूरे वित्त वर्ष के लिए एग्री GVA, 1.5 से 2.5% के बीच रहने का अनुमान लगाया है. वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में ग्रामीण मांग मिश्रित रही है और अब तक माॅनसून जिस प्रकार अनियमित रहा है, इसे देखते हुए आगे का आउटलुक अनिश्चित बना हुआ है.

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