साल 2023 में भारतीय निवेशकों ने 8,500 करोड़ ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट ट्रेड किए, ये आंकड़ा दुनिया के किसी भी बाजार में सबसे ज्यादा है. साल 2019 में पहली बार भारत ने अमेरिका को सालाना ट्रेड के वॉल्यूम में पछाड़ा था. हालांकि, डॉलर वैल्यू के आधार पर अमेरिका में अभी भी ज्यादा खरीदारी और बिकवाली होती है.
भारत में तमाम तरह के वित्तीय सलाहकार, इंफ्लुएंसर्स दुनिया की बेस्ट परफॉर्मिंग इकोनॉमी यानी भारत और इसके स्टॉक मार्केट में ट्रेड की सलाह देते हैं. आपको यूट्यूब, ट्विटर और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इससे जुड़े कई वीडियो मिल जाएंगे.
भारत में 35% रिटेल निवेशक ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं. बाकी हिस्सेदारी इंस्टीट्यूशंस की है, जो अपने निवेशकों के रिस्क और मुनाफे को देखते हुए ऑप्शंस में ट्रेड करते हैं. हालांकि मार्केट रेगुलेटर SEBI वक्त-वक्त पर निवेशकों को अपनी संपत्ति बढ़ाने के लिए शेयर और म्यूचुअल फंड्स में निवेश की सलाह देते हैं.
ऑप्शंस में जितने लोग ट्रेड करते हैं, उनमें अधिकतर लोग तुक्केबाजी ही करते हैं. म्यूचुअल फंड देने वाली एक्सिस एसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुताबिक, किसी भारतीय ट्रेडर का ऑप्शंस ट्रेडिंग में औसतन होल्ड 30 मिनट का होता है. SEBI के बोर्ड मेंबर अश्विनी भाटिया कहते हैं, 'अगर आपको जुआं खेलना है, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर चाहिए, तो शेयर मार्केट में ट्रेड करें'.
SEBI ने भी आंकड़ा जारी करते हुए कहा था कि एक्टिव रिटेल ट्रेडर्स में 90% लोग ऑप्शंस और दूसरे डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स में अपना पैसा गंवाते हैं. मार्च 2022 में, निवेशकों ने $5.4 बिलियन गंवाए थे. इसका मतलब औसतन $1,468. ये आंकड़ा और भी चौंकाने वाला है, वो भी तब, जब उस देश की प्रति व्यक्ति आय $2,300 हो.
अहमदाबाद के रहने वाले चंद्रशेखर ने चार महीने पहले अपनी कमाई का आधा हिस्सा 20,000 रुपये शेयर बाजार में लगाया. पहले ही सेशन में उनका लगाया हुआ पूरा 20,000 रुपया साफ हो गया. इसके बाद उनका कहना था, 'इससे मुझे सबक मिला कि अगर कोई चीज कुछ ज्यादा ही अच्छी लगे, तो वो निश्चित रूप से ठीक नहीं है'.
चंद्रेशखर की तरह ही न जाने कितने रिटेल इन्वेस्टर्स ने अपना पैसा साफ होते हुए देखा है. कई इंफ्लुएंसर्स लोगों को करीब 300-350 रुपये के सेशन ऑफर करते हैं, जिसमें वो अपना 5-6 महीने के कोर्स बेचते हैं. वो लोग कई ब्रोकरेज फर्म के साथ डील करते हैं, जो अपने फॉलोअर्स को इस काम के लिए पैसे देती हैं.
SEBI ने भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने का फैसला किया है. अप्रैल में SEBI ने ब्रोकर्स को रेफरल देने के लिए इंफ्लुएंसर्स को पैसे देने पर बैन लगाया. इसके बदले, नई एजेंसी बनाने की सलाह दी, जिसमें ट्रेडर्स को मिलने वाले रिटर्न का वेरिफिकेशन हो.
SEBI ने न जाने कितने ही इंफ्लुएंसर्स पर शिकंजा कसा है और उनके खिलाफ कार्रवाई की है. SEBI ने ऐसे ही एक व्यक्ति मोहम्मद नसीरुद्दीन अंसारी और उनके एसोसिएट्स पर 17.2 करोड़ रुपये का रिफंड देने का निर्देश दिया. अंसारी को ये निर्देश ऑनलाइन ट्रेडिंग कोर्स चलाने के संबंध में दिया गया है. हालांकि, अंसारी और उनकी कंपनी ने इस पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
भारत का बढ़ता हुआ मिडिल क्लास सदियों से रियल एस्टेट और गोल्ड में निवेश करता रहा है. यहां ज्यादातर परिवारों का करीब 7% हिस्सा ही इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं. वहीं, ब्राजील और चीन में इनकी तादाद 40% और अमेरिका में 50% की है. भारत में जो छोटे निवेशक शेयर बाजार की उस शानदार तेजी का हिस्सा नहीं हो पाए, वो अब पछता रहे हैं. भारतीय शेयर बाजार इस समय दुनिया के हर निवेशक की आखों में है. निफ्टी 50 इंडेक्स में सालाना आधार पर 14.8% की तेजी दिखाई है, जो S&P500 से करीब 3% ज्यादा है.
भारत में बढ़ते निवेश के बीच में फाइनेंस इंडस्ट्री में भी अच्छी खासी तेजी देखने को मिली है. एंजल वन लिमिटेड का शेयर 2020 में अपने IPO के इश्यू प्राइस से 11 गुना हो गया है. कंपनी में 20% हिस्सेदारी रखने वाले एंजल वन के फाउंडर दिनेश ठक्कर की संपत्ति जनवरी में $620 मिलियन दर्ज की गई.
BSE लिमिटेड का IPO 2017 में आया था. बीते एक साल में ही BSE का शेयर 4 गुना हो गया है. ऑप्शन ट्रेडर्स को शॉर्ट टर्म में खरीदने और बेचने को सहूलियत देने के लिए लॉट साइज को घटाने पर भी कंपनी विचार कर रही है.
साल 2022 में सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन से होने वाली कमाई 23,200 करोड़ रुपये की थी. 2023 में इसके और ज्यादा होने का अनुमान है. सरकार ने भी मार्च में कुछ इक्विटी डेरिवेटिव्स के ट्रांजैक्शन टैक्स को बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी थी.
कई मनी मैनेजर्स को चिंता है कि कई ट्रेडर्स शेयर बाजार में अपना फायदा नहीं होने के चलते हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे. एक्सिस म्यूचुअल फंड के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर आशीष गुप्ता के मुताबिक, 'रेगुलेटर्स को रिटेल निवेशकों की सुरक्षा के लिए कुछ करना चाहिए'.
हालांकि शेयर इंडिया सिक्योरिटीज लिमिटेड के CEO सचिन गुप्ता को 90% लोगों के ऑप्शंस ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान के आंकड़े पर भरोसा नहीं है. वो कहते हैं, 'आप ये कैसे मान सकते हैं कि लोग पैसा गंवा रहे हैं और हर साल ज्यादा से ज्यादा निवेश कर रहे हैं'? 'SEBI भी नहीं चाहता कि ऑप्शंस ट्रेडिंग का वॉल्यूम घटे'. वे आगे कहते हैं, 'न सरकार, न एक्सचेंज और न ब्रोकर, कोई नहीं चाहता कि लोग ऑप्शंस में ट्रेड न करें'.
नवंबर में एक कार्यक्रम में SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा था, 'मैं लोगों के लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के बजाय शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग पर रुख को लेकर थोड़ी आश्चर्यचकित हूं'. उन्होंने कहा, 'ऐसे खेल में आपका कभी फायदा नहीं होता, केवल बड़े इंस्टिट्यूशंस का होता है'.