नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने गुरुवार को डॉक्टर्स के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखने के अपने निर्देश को फिलहाल टाल दिया है. साथ ही डॉक्टर्स को फार्मा कंपनियों से गिफ्ट लेने और दवायों के ब्रैंड्स को एंडोर्स करने के निर्देश को भी होल्ड पर डाल दिया गया है.
बता दें कि NMC की तरफ से लगाई गईं ये बाध्यताएं 2 अगस्त को रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर (प्रोफेशनल कंडक्ट) रेगुलेशंस, 2023 में प्रकाशित की गई थीं.
गजट नोटिफिकेशन में कमीशन ने कहा था, 'रजिस्टर्ड डॉक्टर्स और उनके परिवार के सदस्य, फार्मा कंपनियों, मेडिकल डिवाइस कंपनियों, कमर्शियल हेल्थकेयर कंपनियों, कॉरपोरेट हॉस्पिटल्स या उनके प्रतिनिधियों से कोई गिफ्ट, ट्रैवल फैसिलिटी, हॉस्पिटैलिटी, कैश, कंसल्टेंसी फीस या किसी तरह का मानदेय नहीं ले सकते.
कमीशन ने अपने निर्देश में कहा था, 'डॉक्टर्स को किसी तीसरे पक्ष की शैक्षिक गतिविधियों (Educational Activities) जैसे सेमिनार, कार्यशाला, संगोष्ठी, सम्मेलन वगैरह में भी शामिल नहीं होना चाहिए, जिनमें फार्मा या हेल्थ सेक्टर की अन्य कंपनियों की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट स्पॉन्सरशिप शामिल हो.'
धारा-8 के तहत जेनेरिक दवाएं लिखने के अलावा ये नए नियम जोड़े गए थे.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस ने NMC द्वारा जेनेरिक दवाइयों के प्रिस्क्रिप्शन को अनिवार्य करने पर चिंता जताई थी. संगठनों का कहना था कि जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी को लेकर अनिश्चित्ता है, ऐसे में ये निर्देश ठीक नहीं है.
दोनों संगठनों ने ये सुझाव भी दिया था कि रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर्स को फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की अनुमति भी दी जानी चाहिए.
इस संबंध में IMA और IPA के सदस्यों ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से भी मुलाकात की थी.