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भारत ने सबकी अपेक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर बनाया एजेंडा, ग्लोबल साउथ समिट में PM मोदी ने कहा- दुनिया को खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर करना होगा काम

ग्लोबल साउथ खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा की दिक्कत से जूझ रहा है.
NDTV Profit हिंदीवैभव शर्मा
NDTV Profit हिंदी01:34 PM IST, 17 Aug 2024NDTV Profit हिंदी
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शनिवार, 17 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजन किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कई जरूरी मुद्दों पर बात की, जिसमें ग्लोबल DPI फंड, आतंकवाद, उग्रवाद और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोविड के बाद से दुनिया कई अनिश्चितता से एक साथ जूझ रही है, साथ ही आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां भी बढ़ी हैं. ऐसे में पिछले दशक में स्थापित ग्लोबल गवर्नेंस और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस आज के मुद्दों से निपटने में कम पड़ गए हैं. वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में भारत वर्चुअल फॉर्मेट में मेजबानी कर रहा है, जिसमें ग्लोबल साउथ के देशों को कई मुद्दों पर अपने अप्रोच और प्रायोरिटीज को शेयर करने के लिए एक मंच मिला है.

प्रधानमंत्री ने ये भी बताया कि भारत ने विकास के प्रति अपने नजरिए से G20 को आगे बढ़ाया है और साथ ही भारत ने ग्लोबल साउथ की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर एजेंडा बनाया है. उन्होंने चुनौतियों पर बात करते हुए कहा कि दुनियाभर में अनिश्चितता का माहौल है, ग्लोबल साउथ भी खाद्य सामग्री, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा की दिक्कत से जूझ रहा है.

ग्लोबल DPI फंड पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत 'ग्लोबल DPI फंड' में 25 मिलियन डॉलर का शुरुआती योगदान करेगा. ये भारत के G20 प्रेसीडेंसी के दौरान बनाए गए 'ग्लोबल DPI डिपॉजिटरी' पर पहली मल्टीलेटरल आम राय थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद, अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा हैं, ग्लोबल साउथ के देशों को एकता के साथ इनका सामना करना चाहिए और एकता की ताकत के साथ नई दिशा की तरफ आगे बढ़ना चाहिए.

क्यों जरूरी है ग्लोबल साउथ समिट ?

वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का लक्ष्य डेवलपिंग देशों पर असर करने वाली चिंताओं, अप्रोच और प्रायोरिटीज पर विचार करने और समाधानों का आदान-प्रदान के लिए एक साझा मंच देना है.

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