अगली बार जब आपका बैंक होम लोन या ऑटो लोन की दरें बढ़ाएगा, तो अपनी मर्जी से लोन की अवधि या EMI नहीं बढ़ा सकेगा. बैंक इस बारे में आपको पहले सूचित करेगा. इसके बाद ही वो लोन की अवधि या EMI को बढ़ाएगा.
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने EMI बेस्ड फ्लोटिंग रेट लोन की ब्याज दरों में बदलाव अब ज्यादा पारदर्शी हो, इसके लिए एक फ्रेमवर्क लाया जाएगा. मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि दास ने कहा कि बैंकों को लोन की अवधि और EMI की मात्रा में किसी भी बदलाव के बारे में उधारकर्ताओं को सूचित करना होगा और उनकी सहमति लेनी होगी. अभी सामान्य प्रैक्टिस में जब बैंक ब्याज दरों को बढ़ाता है तो वो ऑटोमैटिकली EMI की रकम को बढ़ाने की बजाय अवधि को बढ़ा देता है.
RBI ने 1 अक्टूबर, 2019 को होम लोन के लिए एक्सटर्न बेंचमार्क सिस्टम की शुरुआत की थी, इसमें सभी फ्लोटिंग रेट-बेस्ड लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक करना जरूरी थी. शुरुआत में जब एक्सटर्नल बेंचमार्क सिस्टम की शुरुआत की थी तब बैंकों को तीन महीने में एक बार EMI रीसेट करने की इजाजत दी थी.
दरअसल रिजर्व बैंक को एक रीव्यू और लोगों से इनपुट में ये सामने आया था कि बैंक ग्राहकों की बिना उचित सहमति या बातचीत के ही फ्लोटिंग रेट लोन की अवधि बढ़ा देते हैं. इस पर रिजर्व बैंक ने कदम उठाते हुए एक फ्रेमवर्क लाने का फैसला किया, इससे लोन ग्राहकों की चिंताओं को दूर किया जा सकेगा.
अब सवाल उठता है कि आखिर ये फैसला रिजर्व बैंक ने क्यों लिया. पॉलिसी के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांता दास ने बताया कि इसमें उम्र एक बड़ा फैक्टर है. इसलिए बैंकों के लिए फ्लोटिंग रेट लोन पर फैसला लेते समय इसका ध्यान रखना जरूरी हो जाता है. हालांकि फैसला बैंकों और उनके बोर्ड्स पर निर्भर करता है.
शक्तिकांता दास ने कहा कि अगर बैंक लोन की अवधि बढ़ा रहा है तो वो एक उचित समय तक होना चाहिए, बैंकों और उनके बोर्ड्स को फ्लोटिंग रेट कर्जों की अवधि में बढ़ोतरी का आंकलन करना चाहिए.
इसके अलावा ग्राहकों के पास ये विकल्प भी होना चाहिए कि वो फिक्स्ड रेट लोन में स्विच कर सकें, साथ ही लोन बंद करना है तो भी बैंकों को ये विकल्प अपने ग्राहकों को मुहैया कराना होगा. अगर इसके लिए बैंक किसी तरह का कोई चार्ज लेते हैं, तो इसका खुलासा भी उन्हें पहले ही ग्राहकों को करना होगा.