ADVERTISEMENT

भ्रामक विज्ञापन मामले में SC की बाबा रामदेव को दो टूक; कहा- गंभीर नतीजे भुगतने को तैयार रहें

कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट के आदेश को हल्के में ना लेने की चेतावनी दी. दोनों को एफिडेविट भरने के लिए आखिरी मौका दिया है. मामले में 10 अप्रैल को सुनवाई होगी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी01:04 PM IST, 02 Apr 2024NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि को गंभीर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा. साथ ही फाउंडर बाबा रामदेव और बालकृष्ण के एफिडेविट पर रवैये को लेकर भी नाराजगी जताई.

कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट के आदेश को हल्के में ना लेने की चेतावनी दी. दोनों को एफिडेविट भरने के लिए आखिरी मौका दिया है. मामले में 10 अप्रैल को सुनवाई होगी.

SC ने कहा, 'सिर्फ इस कोर्ट नहीं, बल्कि इस देश में किसी भी कोर्ट से जारी किए गए आदेश का सम्मान करना जरूरी है.'

माफी की अपील भी खारिज

दरअसल मामला पतंजलि के प्रोडक्ट्स का कई बीमारियों के इलाज के तौर पर प्रचार से जुड़ा है. मामले में कोर्ट के आदेश के बावजूद, पतंजलि की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई.

सुप्रीम कोर्ट में मामले पर सुनवाई चल रही थी और बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पतंजलि की दवाओं का प्रचार किया जा रहा था. आरोप है कि ये प्रचार कोविड के दौरान भी किया जा रहा था.

आज की सुनवाई में दोनों के वकील ने कोर्ट से माफी मांगते हुए कहा कि पहले जो गलती हो गई है, उसके लिए खेद है. लेकिन कोर्ट ने माफी देने से इनकार कर दिया और रामदेव को एफिडेविट भरने का आखिरी मौका दिया है.

केंद्र ने आंखें क्यों बंद रखीं: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के भ्रामक प्रचार मामले में केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि 'कोविड का वक्त सबसे ज्यादा कठिन था, उस समय पतंजलि ने इलाज का दावा किया. इस पर सरकार ने क्या कार्रवाई की. जबकि कोविड के दौरान सरकार ने खुद कहा था कि पतंजलि की दवाएं सिर्फ सप्लीमेंट्स हैं, हालांकि कहीं छापा नहीं गया?'

कोर्ट ने आगे कहा, 'केंद्र ने कानून के हिसाब से कार्रवाई नहीं की, हम हैरान हैं कि केंद्र ने अपनी आंखें मूंदे रखीं.'

इसके बाद कोर्ट ने केंद्र और उत्तराखंड राज्य से एफिडेविट मांगा है कि संबंधित कंपनी पर क्या कार्रवाई की गई. मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होना है.

NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT