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SEBI ने कर्मचारियों की समस्याओं पर जारी अपना पुराना लेटर लिया वापस, मामले को आंतरिक बताया

SEBI कर्मचारियों ने संस्था में टॉक्सिक वर्क कल्चर के आरोप लगाए थे, जिसके जवाब में SEBI ने लेटर जारी किया था. लेटर में बाहरी तत्वों द्वारा नैरेटिव गढ़ने की बात कहते हुए कर्मचारियों के आरोपों को नकारा गया था.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit डेस्क
NDTV Profit हिंदी03:27 PM IST, 16 Sep 2024NDTV Profit हिंदी
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SEBI ने कर्मचारियों की समस्याओं के जवाब में जारी अपने पुराने लेटर को वापस ले लिया है. रेगुलेटर ने स्टेटमेंट को वापस लेते हुए दोहराया कि कर्मचारियों द्वारा उठाए गए मामलों को ऑर्गेनाइजेशनल मैकेनिज्म के तहत निपटाना चाहिए और ये मामला आंतरिक है.

SEBI ने ये कदम कर्मचारियों के साथ हुई सकारात्मक बातचीत के बाद उठाया है. इससे पहले ये रिपोर्ट्स आई थीं कि SEBI के कर्मचारियों ने संस्था में टॉक्सिक वर्क कल्चर के आरोप लगाए हैं.

SEBI ने कहा, 'सभी ग्रेड्स के ऑफिसर्स के प्रतिनिधियों के साथ सकारात्मक बातचीत के बाद SEBI और इसके कर्मचारियों ने दोहराया है कि इस तरह के मुद्दे आंतरिक प्रवृत्ति के हैं और इन्हें तय समय सीमा में संस्थान के उच्च स्तरीय गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स के हिसाब से मैनेज किया जाएगा.'

SEBI ने पुराने लेटर में नकारे थे खराब वर्क कल्चर के आरोप

4 सितंबर को अपने शुरुआती स्टेटमेंट में SEBI ने खराब वर्क कल्चर के आरोपों को खारिज किया था. दरअसल टॉक्सिक वर्क कल्चर के आरोप 6 अगस्त को SEBI कर्मचारियों ने सरकार को लिखे खत में लगाए थे. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने पुराने लेटर में SEBI ने कहा था कि बाहरी तत्वों ने मिलकर अंदर के नैरेटिव को तय करने की कोशिश की है.

SEBI के पिछले खत में ये भी कहा गया था कि कुछ कर्मचारियों ने इस मुद्दे को सार्वजनिक करने और इससे बने दबाव का इस्तेमाल भत्तों को बढ़वाने में करने की कोशिश की थी. मतलब इन्होंने व्यक्तिगत फायदे के लिए नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की.

SEBI ने ये भी कहा था कि HRA में 55% के इजाफे के साथ-साथ अन्य मांगों को किसी कर्मचारी संगठन ने नहीं उठाया था. ना ही ये रेगुलेटर के परफॉर्मेंस स्टैंडर्ड्स से जुड़े हुए हैं. SEBI कहती रही है कि संस्था की इंटरनल प्रोसेस और परफॉर्मेंस मीट्रिक्स से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है.

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