सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को कहा कि अगर कोई सिलेब्रिटी और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स किसी प्रोडक्ट या सर्विस के विज्ञापन में काम करते हैं तो वो भी किसी गड़बड़ी के लिए समान तौर पर जिम्मेदार होंगे. पतंजलि आयुर्वेद के गुमराह करने वाले विज्ञापनों के मामले में कोर्ट ने इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को भी फटकार लगाई है.
कोर्ट ने ये भी कहा कि ब्रोडकास्टर्स को कोई विज्ञापन दिखाने से पहले सेल्फ-डेक्लरेशन फॉर्म फाइल करना होगा. इस फॉर्म में ये बताना होगा कि कमर्शियल नियमों का पालन करता है. मंगलवार को मामले में सुनवाई जारी रहेगी.
जस्टिस हीमा कोहली और ए अमनुल्लाह ने गाइडलाइंस फॉर प्रिवेंशन ऑफ मिसलीडिंग एडवर्टिजमेंट्स 2022 का जिक्र किया और कहा कि इसकी गाइडलाइन-13 के तहत व्यक्ति जो भी प्रोडक्ट या सर्विस का विज्ञापन कर रहा है उसे प्रोडक्ट की पर्याप्त जानकारी या अनुभव होना जरूरी है. उसे इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि विज्ञापन गुमराह नहीं कर रहा है.
बेंच ने कहा कि प्रावधान ग्राहकों के लिए है और ये सुनिश्चित करेंगे कि ग्राहकों को ये पता हो कि वो किस तरह का प्रोडक्ट बाजार से खरीद रहे हैं, खासतौर पर स्वास्थ्य और खाने की चीजें. बेंच ने ये फैसला दिया कि सिलेब्रिटी और सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स प्रोडक्ट्स या सेवाओं के गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर समान तौर पर जिम्मेदार हैं.
बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि मंत्रालयों को इसके लिए व्यवस्था बनानी होगी, जिसकी मदद से ग्राहक शिकायत दर्ज करा सकें और इसे किसी समाधान पर ले जाया जा सके.