आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसिद्ध लड्डू के प्रसाद में उपयोग होने वाले घी में जानवरों की चर्बी का मामला तूल पकड़ चुका है. दरअसल सत्ताधारी TDP ने दावा किया है कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार में जानवरों की चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि इस आरोप का YSRCP ने खंडन किया है.
तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान वेंकटेश्वर के भक्तों का एक पवित्र स्थल है, दुनियाभर से भक्त इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं और आशीर्वाद के रूप में लड्डू का प्रसाद लेकर जाते हैं. मंदिर में हर रोज 3 लाख लड्डू बनते हैं.
मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू से बात की है और फूड सेफ्टी मानदंडों के तहत जांच करने के लिए कहा है. साथ ही ये भी कहा कि जांच के बाद रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
रोजाना करीब 3 लाख लड्डू बनाने के लिए मंदिर प्रशासन करीब 1400 kg घी, काजू, किशमिश, इलायची, बेसन और चीनी का इस्तेमाल करता है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर की प्रबंधन समिति 'तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD); ई-नीलामी के माध्यम से प्रसाद की सामग्री खरीदती है, जिसपर सालाना लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च होते हैं.
कोरोना के बाद साल 2022 में ई-नीलामी को शुरू किया गया था. मंदिर पहुंचने वाले घी के टैंकर 'नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (NABL)' से प्रमाणित होते हैं, जो सुनिश्चित करता है कि फूड टेस्टिंग विश्वसनीय तरीके से हुई है.
इस ई-नीलामी में सिर्फ उन्हीं एजेंसियों को भाग लेने की अनुमति है जो आंध्र प्रदेश टेक्नोलॉजिकल सर्विस के साथ रजिस्टर्ड हैं और जिनके पास एगमार्क और FSSAI लाइसेंस हैं.
चर्चा में आए जिस कंसाइनमेंट पर विवाद हुआ है, उसमें तमिलनाडु की 'AR डेयरी फूड' के 10 घी के टैंकर शामिल हैं. मिलावट के शक में अभी 4 टैंकरों को रोका गया है और सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है.
इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए AR डेयरी ने कहा है कि उनका कंसाइनमेंट कई लैब टेस्ट में पास हुआ है और उनके पास ये साबित करने के लिए दस्तावेज भी हैं. डेयरी ने ये भी कहा कि वे तिरुमाला मंदिर में सिर्फ 0.01% घी सप्लाई करते हैं.
सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में ये दावा किया जा रहा था कि डेयरी कंपनी अमूल भी तिरुपति बालाजी मंदिर को घी सप्लाई करती है. जिसके बाद अमूल की तरफ से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण आया है कि अमूल ने कभी TTD को घी सप्लाई नहीं किया.
बता दें पूरे विवाद की शुरुआत CALF (Centre of Analysis and Learning in Livestock and Food) की एक रिपोर्ट के आधार पर हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि तिरुपति से लिए गए घी के सैंपल में मछली का तेल, गौ मांस की चर्बी और सुअर की चर्बी का लार्ड पाया गया है.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कहा 'ये झूठी रिपोर्ट है और नायडू राजनीति के लिए आस्था का इस्तेमाल कर रहे हैं.'
प्रसाद विवाद अब एक याचिका से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. दायर याचिका में संविधान के अनुच्छेद 25 के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, जो धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है.