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Hit And Run: ट्रक ड्राइवर्स की हड़ताल से 450 करोड़ के कारोबार पर संकट! नए कानून में कहां है पेच, क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट्स?

नए कानून के मुताबिक, हादसे के बाद सूचना ना देने, भाग जाने पर 10 साल तक की सजा और 7 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है.
NDTV Profit हिंदीनिलेश कुमार
NDTV Profit हिंदी05:20 PM IST, 02 Jan 2024NDTV Profit हिंदी
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हिट एंड रन मामले (Hit and Run Case) में कानून के नए प्रावधानों विरोध में देशभर में ट्रक ड्राइवर्स और ट्रांसपोटर्स की हड़ताल का बड़ा असर दिख रहा है. महाराष्‍ट्र, हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तर प्रदेश समेत देशभर के कई राज्‍यों में हिट एंड रन कानून की सख्‍ती के विरोध में चक्‍का जाम कर दिया, जिसके चलते पेट्रोल-डीजल, दूध, फल-सब्‍जी और अन्‍य सामानों की आपूर्ति प्रभावित हो रही है.

शुरुआत में कुछ ट्रांसपोर्टर्स ने इस हड़ताल को स्‍वत:स्‍फूर्त बताया था और कहा था कि सोशल मीडिया पर चलाए गए कैंपेन की बदौलत आंदोलन बड़ा हो गया. वहीं बाद में इसके पीछे हिट एंड रन कानून को सख्त बनाने का विरोध कर रहे अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (All India Motor Transport Congress) का नाम सामने आया. संगठन ने देश भर के ट्रांसपोर्टरों की एक बैठक बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी.

मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्‍ला ने ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के साथ मीटिंग कर इस मसले पर बातचीत करेंगे.

महंगाई बढ़ने की आशंका

स्‍ट्राइक और सड़क जाम के चलते सामानों की आपूर्ति प्रभावित होने से अस्‍थाई तौर पर महंगाई बढ़ने की भी आशंका है. ट्रकों की हड़ताल से कई राज्‍यों की सड़कों पर जाम की स्थिति है. महाराष्ट्र खाद्य, आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने पुलिस से अनुरोध किया है कि बाजार में पेट्रोल, डीजल और LPG की आपूर्ति प्रभावित न हो.

पंजाब ट्रक ऑपरेटर्स संघ (All Punjab Truck Operators' Union) के सदस्‍य हैप्‍पी सिद्धु का कहना है कि हड़ताल के चलते दिल्‍ली-अमृतसर-कटरा एक्‍सप्रेस-वे जैसे प्रमुख मार्ग बाधित होने से बड़ा असर पड़ेगा. वहीं, कई राज्‍यों में ट्रक ड्राइवर्स आगजनी जैसे हिंसक प्रदर्शन भी कर रहे हैं, जिसके चलते नेशनल और स्‍टेट हाइवे पर वाहनों की लंबी कतारें हैं.

450 करोड़ के कारोबार पर असर!

ट्रकों की एक दिन की हड़ताल से अगर ट्रांसपोर्ट बॉडी के मुताबिक, 150 करोड़ के कारोबार पर असर होने की संभावना मानी जाए तो ऐसे में 3 दिन की हड़ताल से 450 करोड़ के कारोबार पर असर हो सकता है.

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, हड़ताल के कारण देश के कई शहरों में पेट्रोल और डीजल की कमी हो गई है. पेट्रोल पंपों के बाहर पेट्रोल लेने के लिए लोगों की लंबी लाइन लगी हुई है. पेट्रोल पंप एसोसिएशन के मुताबिक, 3 दिन की हड़ताल का असर व्‍यापक हो सकता है. हड़ताल लंबा खिंचा तो पेट्रोल पंपों का स्‍टॉक खत्‍म हो सकता है.

पेट्रोल की कमी के बीच लिमिट तय!

चंडीगढ़ में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती किल्‍लत को देखते हुए जिला प्रशासन ने वाहनों के लिए तत्‍काल प्रभाव से खरीद की लिमिट तय कर दी है. टू-व्‍हीलर्स यानी बाइकों के लिए 2 लीटर या 200 रुपये का पेट्रोल, जबकि फोर-व्‍हीलर्स के लिए 5 लीटर या 500 रुपये के पेट्रोल खरीदने की लिमिट सेट कर दी गई है. चंडीगढ़ के DM के अनुसार, जिले में पेट्रोल-डीजल की कमी न हो और पब्लिक में होड़ न मचे, इसलिए ये फैसला लिया गया है.

हिट एंड रन केस में नया कानून क्‍या कहता है?

संसद से पारित भारतीय न्याय संहिता (BNS) में हिट एंड रन केस में 'लापरवाही से मौत' की सजा में विशेष प्रावधान किए गए हैं.

  • ड्राइवर के तेज गाड़ी चलाने या लापरवाही से ड्राइविंग के चलते किसी की मौत हो जाती है और ड्राइवर पुलिस या प्रशासन को सूचना दिए बगैर भाग जाता है, तो उसे 10 साल की सजा और 7 लाख रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है.

  • पहले हिट एंड रन मामले में IPC की धारा 279 (लापरवाह ड्राइविंग), ड्राइवर की पहचान के बाद 304ए (लापरवाही के चलते मौत) और 338 (जान खतरे में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता था.

  • पुराने कानून में दो साल तक की सजा का प्रावधान था. ऐसे मामलों में अक्‍सर देखा जाता था कि दुर्घटना के बाद ड्राइवर गाड़ी लेकर या गाड़ी छोड़ कर भाग जाते थे.

  • नए कानून में भारतीय न्‍याय संहिता की धारा 104(2) के तहत पुलिस केस दर्ज होगा. पुलिस या जज को सूचना नहीं देने पर 10 साल की कैद के साथ 7 लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है.

ट्रक ड्राइवर्स और संघ क्‍यों कर रहे विरोध?

ट्रक ड्राइवरों का तर्क है कि कई बार उनकी लापरवाही न भी हो, तो भी एक्‍सीडेंट्स हो जाते हैं. दुर्घटना के बाद मौके पर रहे तो भीड़ के आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है. उनका कहना है कि कोई व्‍यक्ति जान-बूझकर हादसे नहीं करता है.

गाजीपुर के कुछ ट्रक ड्राइवरों ने कहा, 'खासकर सर्दियों में कोहरा भी बड़ा कारण होता है. ड्राइवर्स का कहना है कि हादसे के बाद स्थानीय लोगों के डर की वजह से ड्राइवर भाग जाते हैं. साथ ही लंबी प्रक्रिया की वजह से कानूनी रास्ते से घबराते हैं.''

अब आगे क्‍या?

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) का कहना है कि नए कानून के अनुसार सजा के प्रावधानों में ट्रक ड्राइवर्स का उत्‍पीड़न हो सकता है. संघ ने सरकार और अधिकारियों से नए कानून के कार्यान्‍वयन पर पु‍नर्विचार करने का आग्रह किया.

महाराष्ट्र रोड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबा शिंदे का कहना है कि सरकार को अपना पक्ष बदलना ही होगा. NDTV से बातचीत में शिंदे ने कहा, 'देश में पहले से ही 30% ड्राइवर्स की कमी है. हिट एंड रन के नए कानून ने ड्राइवरों में बहुत आक्रोश है.'

बाबा शिंदे ने कहा कि ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने देश भर के ट्रांसपोर्टरों की एक बैठक बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. सरकार को अपना फैसला को वापस लेना ही होगा नहीं तो ट्रांसपोर्ट इंडस्ट्री पर बड़ा असर देखने को मिल सकता है.

इस बीच केंद्र सरकार ने संघ के साथ मीटिंग करने का फैसला लिया. संघ के साथ केंद्रीय गृह सचिव की बातचीत से मसले का हल निकलने की उम्‍मीद की जा रही है.

कानून में पेच कहां है?

क्रिमिनल लॉ स्‍पेशलिस्‍ट और अधिवक्‍ता सोनाली किशोर ने NDTV Profit हिंदी से बातचीत में कहा, 'ट्रक ड्राइवर्स के मन में जो डर है, उसके पीछे सजा में 5 गुनी बढ़ोतरी और भारी जुर्माना बड़ी वजह है. पहले IPC की धारा 304-A के तहत गैर इरादतन हत्‍या के लिए 2 साल की सजा या जुर्माने का प्रावधान था और अब BNS की धारा 106 के तहत इसी अपराध के लिए 10 साल की सजा के साथ 7 लाख का भारी जुर्माना शामिल है.'

उन्‍होंने कहा, 'अमूमन 3 साल से कम की सजा वाले मामलों में बेलेबल सेक्‍शन लगते हैं और पुराने कानून के तहत देखा जाए तो हिट एंड रन केस में बेल मिलना संभव था. अब गंभीर अपराध की श्रेणी और 10 साल की सजा के चलते बेल मिलना संभव नहीं है, इसलिए ड्राइवर्स के लिए ये बड़ा मुद्दा है.'

सोनाली किशोर ने इस बात पर भी जोर डाला कि अभी नया कानून नोटिफाई नहीं हुआ है यानी ये अभी देश में लागू नहीं है. किसान आंदोलन के बाद तीनों कृषि कानून सरकार ने वापस ले लिए थे. ऐसे में ड्राइवर्स इस मसले पर भीर बातचीत से हल निकलने की संभावना देख रहे हैं.

(NDTV और PTI से इनपुट्स के साथ)

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