महिलाओं के सैलून और ब्यूटी पार्लर्स में पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगे.
पुरुष टेलर्स कपड़ों के लिए महिलाओं का नाप नहीं ले सकते.
जिम में महिलाओं को सिर्फ महिला ट्रेनर्स ही ट्रेनिंग दे सकते हैं.
कपड़ों की दुकान में सिर्फ महिलाएं ही महिलाओं को कपड़े दिखाएंगी.
ये बातें 2024 के हिंदुस्तान में हो रही हैं. किसी पिछड़े और कठमुल्ले देश में नहीं!
दरअसल उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने महिला सुरक्षा के नाम सरकार को अजब-गजब सुझाव दिए हैं. आयोग का मानना है कि सैलून-पार्लर, टेलर शॉप और जिम जैसी जगहों पर महिलाओं के साथ छेड़खानी ज्यादा होती है. समाधान के तौर पर इन जगहों पर पुरुषों के साथ महिलाओं का संपर्क ही खत्म कर दिए जाने का सुझाव है.
मने आयोग मान चुका है कि देश के 'बदमिजाज पुरुषों' को कानूनी तौर-तरीके से 'ठीक' किया जाना मुमकिन नहीं है, ऐसे में समाधान यही है कि महिला-पुरुषों का पेशेवर व्यवहार ही खत्म कर दिया जाए. आयोग का तर्क तो यही कहता है.
हम एक लॉ अबाइडिंग सोसाइटी तौर पर असामाजिक तत्वों में डर तो बिठा नहीं पाए, इसलिए हमारा सॉल्यूशन है कि महिलाओं का पुरुषों से संपर्क खत्म कर दिया जाए. आज भी कई इलाकों में महिलाओं का घरों से निकलना मुश्किल होता है, कई मामलों में स्कूल-कॉलेज जाने से रोकना भी इसी मानसिकता की ऊपज है.
दूसरी बात, यहां आयोग ने यहां बैड टच और सामान्य या पेशेवर टच में अंतर को ही खत्म कर दिया! आखिर इसलिए ही तो आयोग ब्लैंकिट बैन लगाने की बात कर रहा है. ये काफी प्रॉब्लोमैटिक है.
कल को ईव टीजिंग से बचाने के नाम पर आयोग पुरुषों के महिलाओं को देखने पर ही प्रतिबंध लगाने की वकालत कर सकता है. मने हर नजर, हर टच को खराब मानकर उससे बचा जाए.
आयोग का तर्क कुछ ऐसा ही है कि जैसे एक्सीडेंट से बचने के लिए हाईवे पर गाड़ी चलाना बंद कर दिया जाए और सिर्फ पैदल चलने की अनुमति हो. मने नियम के मुताबिक गाड़ी चलाने या इन्हें तोड़कर गाड़ी दौड़ाने वालों में फर्क ही ना किया जाए!
उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान लेडीज टेलर्स से जुड़े मुद्दे पर कहती हैं, 'नाप लेने के दौरान महिलाओं से छेड़छाड़ की जाती है, कुछ पुरुषों की मंशा खराब होती है.' हम भी मानते हैं कि 'कुछ' पुरुषों की मानसिकता खराब होती है, लेकिन फिर 'सभी' को उनका काम करने से क्यों रोका जाए. कुछ का लांछन सभी क्यों भुगतें!
आयोग जब कहता है कि टेलर की दुकान, सैलून या जिम में महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा छेड़खानी होती है, तो ये इन पेशों की निष्ठा पर भी सवाल उठाता है. इससे समाज में ये पेशे कलंकित होते हैं. सोचिए इन पेशों के मेहनतकशों, उनके परिवार वालों के दिल-दिमाग पर क्या गुजर रही होगी!
दरअसल 28 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश महिला आयोग की एक बैठक हुई, इसमें महिला सुरक्षा पर ये सुझाव सामने आए हैं. इसमें इन अजीबो-गरीब सुझावों के साथ जिम, सैलून, नाट्य कला केंद्रों में कैमरे लगाने, कर्मचारियों और संस्थाओं के सत्यापन कराने जैसे थोड़े-बहुत ठीक-ठाक सुझाव भी दिए गए.
बेहतर होता कि इस तरह के मामलों में कानूनी प्रक्रिया और निगरानी की व्यवस्था चुस्त की जाती, ना कि ये बाबा आदम के जमाने के सुझाव दिए जाते. अब गेंद उत्तर प्रदेश सरकार के पाले में है कि वो इन सुझावों को लागू करे या नहीं. फिलहाल लोग इस मुद्दे पर दो खेमों में बंटे नजर आ रहे हैं.