अमेरिकी दौरे पर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डिफेंस सेक्टर में मेक इन इंडिया प्रोग्राम के लिए अमेरिकी कंपनियों को आमंत्रित किया है. भारत और अमेरिका के बीच सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई अग्रीमेंट पर दस्तखत हुए हैं. रक्षा मंत्री ने बताया कि भारत और अमेरिका एक-दूसरे की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए डिफेंस जरूरतों को प्राथमिकता देंगे.
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर बताया कि भारत-अमेरिका स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की ओर से आयोजित 'डिफेंस इंडस्ट्री-गोलमेज सम्मेलन' में लीडिंग US डिफेंस कंपनियों के साथ अच्छी बातचीत हुई.
उन्होंने बताया, 'डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में हमारे मेक इन इंडिया कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए अमेरिकी कंपनियों को भारतीय भागीदारों के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया गया है.'
रक्षा मंत्री के US विजिट के दौरान भारत और अमेरिका के बीच सिक्योरिटी ऑफ सप्लाई एग्रीमेंट (SOSA) पर दस्तखत हुए हैं. इस एग्रीमेंट के अनुसार अब दोनों देश एक दूसरे के नेशनल डिफेंस संबंधी जरूरतों को प्राथमिकता देंगे.
अमेरिका दुनिया भर के कई देशों को अपने हथियारों की सप्लाई करता है. भारत भी अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल करता है, जिनमें अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर, चिनूक हेलिकॉप्टर, C-17 ग्लोब मास्टर, C-130j सुपर हरक्यूलिस, M-777 आर्टलरी गन जैसे हथियार शामिल हैं.
अमेरिका के साथ दुनिया के कुल 18 देश है जिसके साथ ऐसा समझौता है. इसी कड़ी में भारत के साथ बड़ी डील हुई है. दोनों देश एक-दूसरे से जरूरी इंडस्ट्रियल रिसोर्स प्राप्त करने में सक्षम होंगे, ताकि कभी सप्लाई चेन बाधित हो तो उसका हल निकाला जा सके. हालांकि दोनों देश इसके लिए बाध्य नहीं होंगे. लेकिन प्राथमिकता देंगे.
इसे ऐसे समझें कि भारत या अमेरिका को एक दूसरे से किसी ऐसे नेशनल डिफेंस संबंधी हथियार, सामान या सेवाओं की जरूरत होगी, तो वो SOSA एग्रीमेंट के तहत पहले एक-दूसरे को तरजीह देंगे. हालिया डील से दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.